इंदौर न्यूज़ (Indore News)

खासगी ट्रस्ट की कृषि भूमि पर ट्रस्ट ने ही कालोनी की तरह 1500-1500 फीट के प्लाट बेच डाले

अग्निबाण के पास हैं भूमि के दस्तावेज
गणपति मंदिर की जमीन के दो मामले
खासगी ट्रस्ट के कर्ताधर्ताओं में इंदौर के सबसे वरिष्ठ अधिकारी, यानी संभागायुक्त का नाम शामिल होने के कारण जिला प्रशासन की मौन स्वीकृति कुछ इस तरह रही कि शासन के स्वामित्व की संपत्तियों की देखरेख के लिए बनाए गए ट्रस्ट द्वारा कई अवैध कार्य किए जाते रहे और प्रशासन आंखें मूंदे रहा। अग्निबाण के पास कई ऐसे दस्तावेज हैं, जिनसे पता चलता है कि ट्रस्ट ने शासन के स्वामित्व की कृषि भूमियों पर कालोनी की तरह ही 1500 फीट से लेकर 4-5 हजार फीट तक के प्लाट बेच डाले।

मंदिर की जमीन पर अब्दुल मन्नान का मकान… जमीन लीज पर दी निगम ने स्वामी बना डाला
खासगी ट्रस्ट के साउथ तोड़ा जूनी इंदौर स्थित गणेश मंदिर के नाम पर ग्राम पीपल्याराव में स्थित कृषि भूमि खसरा नंबर 160, 161 एवं 162 पर 30 बाय 60, यानी 1800 फीट का एक प्लाट अब्दुल मन्नान पिता मोहम्मद अयूब निवासी 16, श्याम नगर इंदौर को 720 रुपए की मासिक लीज पर 30 सालों के लिए दे डाला। ट्रस्ट के सचिव कैलाश तिवारी द्वारा 28 जून 2007 को पंजीकृत दस्तावेज की चर्तुसीमा में इस प्लाट के पश्चिम में रमेश का प्लाट एवं उत्तर में तराने का प्लाट उल्लेखित किया गया है। यानी उक्त पूरी जमीन पर ट्रस्ट द्वारा अवैध कालोनी का निर्माण कर सभी को लीज पर प्लाट दिए गए हैं। उक्त लीज डीड के आधार पर अब्दुल मन्नान ने नगर निगम में वार्ड 67 के झोन क्रमांक 6 में नामांतरण भी करा लिया, जिसका पता 152, ब्रह्मपुरी लिखा गया है। यानी उक्त भूमि पर ब्रह्मपुरी कालोनी बस चुकी है और उस पर मकान भी बन चुका है, जिसका संपत्तिकर प्रतिवर्ष 1667 रुपए वसूला जा रहा है।

केवल 225 रुपए में ट्रस्ट ने 20 साल के लिए लीज पर दे डाली 4 हजार फीट जमीन

गणपति मंदिर की ही जमीन पर ट्रस्ट के सचिव द्वारा 26-12-1989 को सीताबाई पति केशव मोड़ निवासी 47, नेताजी सुभाष मार्ग के हक में पंजीकृत लीज डीड में 4 हजार फीट की भूमि मात्र 225 रुपए में 20 साल के लिए लीज पर दे दी गई। ट्रस्ट सचिव कैलाश तिवारी द्वारा पंजीकृत की गई उक्त डीड में स्वयं स्वीकार किया गया है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा समस्त मंदिरों की देखरेख और व्यवस्था के लिए होलकर ट्रस्ट का निर्माण कर उन्हें प्रबंधक नियुक्त किया गया है और यह स्थिति लीजगृहिता को स्वीकार है। इस लीज डीड में ही इस बात का उल्लेख भी है कि उक्त भूमि वर्तमान में विकास प्राधिकरण की स्कीम में शामिल हो चुकी है, लेकिन लीजगृहिता द्वारा उक्त भूमि पर मकान बनाकर निवास किया जा रहा है। उक्त भवन की बिक्री का अधिकार भी ट्रस्ट द्वारा लीजगृहिता को देकर मात्र 5 हजार रुपए की चंदा राशि ट्रांसफर फीस के रूप में अदा किए जाने का उल्लेख किया गया है।

प्रशासन की आज जारी की गई सूची में शामिल नहीं है ये जमीन
प्रशासन द्वारा आज जारी की गई सूची में जिन भूमियों का कब्जा लेने के आदेश दिए गए हैं उनमें यह भूमि शामिल नहीं है, लेकिन उक्त भूमि पर खासगी ट्रस्ट के स्वामित्व के दस्तावेज अग्निबाण के पास मौजूद हैं। शहर में ऐसी कई संपत्तियां हैं, जिन पर राजस्व अभिलेखों में ही खासगी ट्रस्ट का नाम उल्लेखित है, लेकिन प्रशासन को दस्तावेजों की खोज कर उन पर कार्रवाई करना होगी। इन सभी संपत्तियों पर हालांकि ट्रस्ट ने इसी तरह लोगों को औने-पौने दाम लेकर स्वामित्व हस्तांतरण करने की कार्रवाई की है। हालांकि अधिकांश भूमियां लीज पर ही दी गई हैं।

प्लाटों पर बने मकानों की बिक्री का भी अधिकार… ट्रांसफर फीस मात्र 5 हजार रुपए
ट्रस्ट द्वारा अवैध रूप से कालोनी के रूप में लीज पर दी गई भूमि पर बने मकानों की बिक्री का अधिकार भी लीज डीड में दिया गया है। रजिस्टर्ड लीज डीड में इस बात का उल्लेख है कि लीजगृहिता को अपने भवन की बिक्री या गिरवी रखने का अधिकार रहेगा। किसी बिक्री की दशा में जो व्यक्ति अपना नाम लीज ट्रांसफर के लिए देगा उसे ट्रांसफर फीस 5 हजार रुपए देना होगी, जिसकी आधी राशि बिक्रीकर्ता एवं आधी राशि खरीदार से ट्रस्ट द्वारा वसूली जाएगी और उसके उपरांत नाम ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

 

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