20 हजार से ज्यादा इमारतों का फायर सेफ्टी ऑडिट करवाना चुनौतीपूर्ण, मोदी की सभा में भी चले गए फायर विशेषज्ञ, कलेक्टर के निर्देश पर निगम ने जारी की सूचना
इंदौर। पिछले दिनों एबी रोड (ab road) के रेस्टोरेंट मचान (machaan) में भीषण आग (fire) लगने के बाद शहर की सभी 12 मीटर से ऊंची 20 हजार से अधिक इमारतों (buildings) में फायर फाइटिंग सिस्टम (fire fighting system) की जांच करने के निर्देश कलेक्टर आशीष सिंह ने दिए थे और इसके लिए 20 मई तक की समय सीमा तय की गई, जिसमें अब एक हफ्ते की और मोहलत दी गई है। मगर दूसरी तरफ एक समस्या यह भी आ रही है कि शहर में फायर सेफ्टी ऑडिट (fire safety audit) करने वाली विशेषज्ञ (experts) टीमों का टोटा (shortage) है। 3 से 4 ही प्रमुख एजेंसियां हैं, जो यह काम बेहतर तरीके से कर सकती है और चूंकि सभी ऊंची इमारतों का जिम्मा इनको मिल गया तो अब समय लग रहा है। इतना ही नहीं, पिछले दिनों चुनाव प्रचार के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई बार प्रदेश के दौरे किए और उनकी सुरक्षा जिसमें फायर सेफ्टी भी शामिल रहती है उसके लिए भी इन एजेंसियों को काम करना पड़ा।
इन एजेंसियों के कर्ताधर्ताओं का कहना है कि एक साथ इतना काम आ गया कि उन्हें फुर्सत ही नहीं मिल रही है, क्योंकि वीवीआईपी के आगमन पर भी फायर सेफ्टी से संबंधित जांच और एसपीजी को सर्टिफिकेट देने का काम भी ये एजेंसियां ही करती हैं और अभी प्रधानमंत्री मोदी का कई बार दौरा हुआ। चूंकि इंदौर में ही फायर सेफ्टी विशेषज्ञ मौजूद हैं, जिसके चलते प्रदेश के अन्य जिलों में भी इन्हें जाना पड़ा। दूसरी तरफ कलेक्टर आशीष सिंह ने एक हफ्ते की मोहलत और दी है और उसके साथ चेतावनी भी, जिसमें इमारतों को सील करने और वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। निगम ने पिछले दिनों सभी 19 झोनों में 12 मीटर से अधिक ऊंचाई की 20 हजार से अधिक इमारतों को नोटिस भी जारी किए और इनके भवन मालिकों को एक माह में फायर सेफ्टी के विशेष उपाय करने और ऑडिट कराने को कहा। इसमें सभी वाणिज्यिक और आवासीय इमारतें शामिल हैं, जो कि 12 मीटर से अधिक ऊंचाई की हैं। शहर में कई ऊंची इमारतों की मंजूरी हाईराइज कमेटी से भी हुई है, जिनकी कुल ऊंचाई 140 से लेकर 150 फीट तक है। 40-45 मीटर ऊंचाई की इन बिल्डिंगों में फायर सेफ्टी के सभी आवश्यक इंतजाम रहना चाहिए। उसके मापदण्ड भी तय हैं। व्यवसायिक इमारतों, जिनकी ऊंचाई 10 से 15 मीटर है, वहां फायर सेफ्टी इंतजामों के साथ 50 हजार लीटर क्षमता का अंडरग्राउंड टैंक और छत पर 5 हजार लीटर क्षमता का टैंक होना अनिवार्य है, तो 15 से 30 मीटर ऊंचाई की इमारतों में फायर सेफ्टी उपकरणों के साथ-साथ डेढ़ लाख लीटर का अंडरग्राउंड वॉटर टैंक और छत पर 20 हजार लीटर का टैंक अनिवार्य है। हालांकि निगम का कहना है कि शहर में दो दर्जन से ज्यादा फायर सेफ्टी ऑडिट एजेंसियां हैं। उनकी सूची भी निगम ने तैयार की है, जिनके माध्यम से भवन निर्माता इन्हीं से सेफ्टी उपकरण खरीदने के साथ-साथ ऑडिट भी करवाते हैं। कल कलेक्टर आशीष सिंह ने 20 मई की समय सीमा समाप्त होने के बाद एक हफ्ते की मोहलत और दी है। उसके पहले 15 दिन की समय सीमा तय की गई थी और शहर की बड़ी होटलों, शॉपिंग मॉल के साथ अन्य इमारतों को भी निगम की ओर से नोटिस जारी हुए हैं। निगम के फायर ऑफिसरों का कहना है कि सभी भवन मालिकों, संस्थाओं को जाहिर सूचना के माध्यम से सूचित किया गया है कि वे हफ्तेभर की समय सीमा मेफायर फाइटिंग उपकरण का प्रावधान कर निगम को सूचित करें।
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