इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

22 स्थगित अभिन्यासों को जवाब के साथ संशोधन का मौका

  • मामला बायपास के कंट्रोल एरिया में की कार्रवाई का… अब नए सिरे से जमीन मालिकों को सुनवाई के साथ संशोधन प्रस्तुत करने का भी प्रस्ताव

इंदौर। पिछले दिनों बायपास के 45 मीटर के कंट्रोल एरिया में हुए अवैध निर्माणों को चिन्हित करने की कार्रवाई नगर निगम ने शुरू की और दोनों तरफ लगभग 650 से ज्यादा ऐसे निर्माण चिन्हित कर उन्हें नोटिस भेजने की कार्रवाई भी शुरू कर दी। वहीं दूसरी तरफ नगर तथा ग्राम निवेश ने 22 अभिन्यासों को भी एक साथ निरस्त कर दिया और इस संबंध में कलेक्टर ने भी शासन को पत्र भेजा है। अब नगर तथा ग्राम निवेश ने इन सभी 22 स्थगित किए गए अभिन्यासों के जमीन मालिकों को नए सिरे से नोटिस जारी करते हुए जवाब देने का अवसर तो दिया ही, वहीं धारा 29 (3) के तहत अभिन्यास में संशोधन का आवेदन प्रस्तुत करने को भी कहा है, ताकि 45 मीटर कंट्रोल एरिया की जमीन को छोडक़र नए सिरे से अभिन्यास की मंजूरी भी करवाई जा सकती है। अग्निबाण ने कंट्रोल एरिया का मामला जोर-शोर से उठाया और शासन ने जो चार साल पहले संशोधन कर कंट्रोल एरिया की लूट की छूट दी, उसे भी एक्सपोज किया, जिसके चलते कंट्रोल एरिया 12 मीटर करते हुए शेष 33 मीटर में 13 मीटर ऊंचाई तक की बिल्डिंगों के निर्माण को मंजूरी दे डाली।



60 मीटर बायपास की चौड़ाई सर्विस रोड सहित है, जिसके दोनों तरफ 45-45 मीटर का कंट्रोल एरिया छोड़ा गया। 2008 में इंदौर का मास्टर प्लान लागू हुआ, तब से लेकर 2017 तक 45 मीटर के कंट्रोल एरिया को छोडक़र ही अभिन्यास मंजूर होते रहे, लेकिन 2017 में कंट्रोल एरिया की चौड़ाई को घटाने का खेल किया गया और लोक निर्माण विभाग के जरिए एक नया आदेश भिजवाया गया, जिसमें 12 मीटर गहराई तक सर्विस रोड के बाद के एरिया को छोडक़र शेष 33 मीटर में 13 मीटर की ऊंचाई तक की बिल्डिंगों के निर्माण को मंजूरी दी। शासन का यह आदेश अभी भी लागू है। नतीजतन नगर तथा ग्राम निवेश ने इस आदेश के पालन में ही अभिन्यासों को मंजूर किया, जिसमें पहले पंचायत और अब नगर निगम द्वारा बिल्डिंग परमिशन दी जाती है, लेकिन मुख्यमंत्री के समक्ष कलेक्टर मनीष सिंह ने इंदौर की विकास योजना को लेकर प्रजेंटेशन दिया, जिसमें बायपास की बर्बादी और सर्विस रोड को चौड़ा करने की आवश्यकता भी बताई, जिसके चलते यातायात जाम तो होता ही है, वहीं दुर्घटनाएं भी कम नहीं होती। कलेक्टर ने साढ़े 22 मीटर कंट्रोल एरिया छोडक़र शेष साढ़े 22 मीटर में ही अनुमति देने की सलाह शासन को भिजवाई है। वहीं नगर तथा ग्राम निवेश ने कलेक्टर के निर्देश पर 22 अभिन्यासों को पिछले दिनों स्थगित कर दिया था, जिसके चलते कुछ लोग कोर्ट भी जाने की तैयारी करने लगे। वहीं नगर तथा ग्राम निवेश को भी यह गलती समझ में आई कि सीधे अभिन्यास स्थगित करने की बजाय स्पष्टीकरण और जवाब भी लिया जाना चाहिए। अभी नगर निगम जो नोटिस दे रहा है, उसमें सुनवाई और जवाब देने का अवसर भी दिया जा रहा है, ताकि एकतरफा स्टे कोर्ट से हासिल ना किया जाए। नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक एसके मुद्गल का कहना है कि अब स्थगित किए गए 22 अभिन्यासों में नए सिरे से पत्र जारी किए गए हैं, जिसमें जमीन मालिकों से कहा गया है कि उन्हें जो स्थल अनुमोदन को आगामी आदेश तक स्थगित करने के संबंध में पत्र भेजे गए थे उसके संदर्भ में यदि उन्हें कोई स्पष्टीकरण और जवाब प्रस्तुत करना हो तो वे सात दिन में कार्यालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके अलावा विषयांकित भूमि के सामने स्थित मार्ग की चौड़ाई 60 मीटर के पश्चात 45 मीटर कंट्रोल एरिया की जमीन को छोडक़र शेष भूमि पर उनके द्वारा नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 29 (3) के तहत संशोधन हेतु आवेदन भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं। दरअसल विभाग की मंशा भी यही है कि जहां कंट्रोल एरिया को सुरक्षित रखा जा सके, वहीं जमीन मालिकों के हितों की भी पूरी तरह से अनदेखी ना हो। शासन से भी विभाग ने अनुरोध किया है कि वह पूर्व का जारी आदेश स्थगित करे, जिसमें 12 मीटर कंट्रोल एरिया छोडक़र शेष 33 मीटर पर 13 मीटर तक की ऊंचाई तक की बिल्डिंगों को अनुमति देने का प्रावधान किया गया है। हालांकि शासन ने जो संशोधन कंट्रोल एरिया को लेकर किया था उसमें बैंक, एटीएम, पेट्रोल पम्प, ऑटो सर्विस स्टेशन, पुलिस स्टेशन, चौकी, बस स्टॉप, टेलीफोन एक्सचेंज, वायरलेस स्टेशन, फायद स्टेशन, टेलीकॉप टावर और स्टेशन, पम्पिंग स्टेशन के साथ इलेक्ट्रिक सब स्टेशन संबंधित अनुमति ही ली जा सकती है, लेकिन इंदौर के जमीनी जादूगरों ने इन अनुमतियों की आड़ में अन्य व्यवसायिक निर्माण भी मौके पर कर लिए हैं, जिनमें होटल, मैरिज गार्डन से लेकर शोरूम और अन्य गतिविधियां शामिल हैं। वर्तमान में चूंकि नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय का 30.01.2018 का आदेश लागू है। लिहाजा नगर तथा ग्राम निवेश को उस आदेश का पालन करना मजबूरी है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम ने भी कंट्रोल एरिया में हुए अवैध निर्माणों को चिन्हित कर नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। 200 से अधिक नोटिस निगम अभी तक जारी कर चुका है, जिसमें सुनवाई, जवाब भी लिए जा रहे हैं। निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी के मुताबिक तीन तरह से नगर निगम ने इन निर्माणों को चिन्हित किया है, जिनकी संख्या 650 तक पहुंच गई है।

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