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दिल्‍ली की दावेदारी पर एकजुट नहीं हो पा रहा विपक्ष, सीएम ममता दिल्‍ली में

नई दिल्‍ली। पिछले तीन माह पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) की ओर से नाश्ते पर बुलाई गई मीटिंग के बाद विपक्षी नेता साइकिलों से ही संसद भवन के लिए रवाना हो गए। शिवसेना, एनसीपी, आरजेडी और सीपीआई समेत कई नेताओं ने राहुल गांधी की मीटिंग में हिस्सा लिए और फिर एक साथ ही संसद के लिए निकले। इस मीटिंग के दौरान राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं से एकजुट रहने की अपील की थी।
यही वजह है कि आए दिन विपक्षी नेताओं का दिल्‍ली दौरा होने लगा है। बता दें कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) तीन दिन की यात्रा पर दिल्‍ली आई हुईं हैं, लेकिन इस दौरान उनका कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मिलने का कोई प्‍लान नहीं है। 20 अगस्त के बाद यह दूसरी बैठक थी, जिसे टाल दिया गया है. खबर है कि संसद में केंद्र सरकार को घेराव करने के लिए अब केवल विपक्ष के संसदीय कल के नेताओं की ही बैठक होगी और सदन की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी।



पिछली बैठक के प्रमुख आयोजक माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने बताया, हमने अब फैसला किया है कि संसद सत्र की रणनीति तैयार करने के लिए सदन के नेता बैठक करेंगे। उन्‍होंने कहा कि 2024 के चुनावों से संबंधित बड़े मुद्दों पर विपक्षी दलों की बैठक अगले चरण में बुलाई जाएगी।
जबकि ममता बनर्जी के एक प्रमुख सहयोगी ने सोमवार शाम को कहा कि टीएमसी प्रमुख ने अभी तक सोनिया गांधी से मिलने का समय नहीं मांगा है। हमें दोनों नेताओं की बैठक के लिए उनके (सोनिया गांधी) कार्यालय से अब तक कोई निमंत्रण नहीं मिला है। ममता बनर्जी अपनी तीन दिवसीय दिल्ली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुछ अन्य राजनीतिक नेताओं से मुलाकात करेंगी।
ममता बनर्जी के एक सहयोगी ने कहा कि तीन दिन की यात्रा के दौरान ममता और सोनिया गांधी के मिलने की संभावना है, लेकिन अभी कुछ भी निर्धारित नहीं है। भले ही सोनिया गांधी और ममता बनर्जी के बीच हमेशा से घनिष्ठ संबंध रहा हो लेकिन तृणमूल की राष्ट्रीय विस्तार योजना, कांग्रेस के प्रमुख नेताओं का पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी में पलायन और गोवा के राजनीतिक क्षेत्र में इसके प्रवेश ने दो विपक्षी ताकतों के बीच तनाव पैदा कर दिया हैद्य
विदित हो कि आमतौर पर यूपीए और उससे इतर विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए सोनिया गांधी ही अब तक प्रयास करती रही हैं, लेकिन इस बार ऐसा कोई प्रयास नजर नहीं आ रहा है।

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