जबलपुर। आयुध निर्माणी बोर्ड कोलकाता (OFB) शुक्रवार, 01 अक्टूबर 2021 से इतिहास बन गया। इसी के साथ ही देश की 41 आयुध निर्माणियों के साथ जबलपुर की चारों आयुध निर्माणियों का संचालन निगम (Ordnance Factories Operation Corporation) के द्वारा संचालित होगा, केंद्र सरकार के इस निर्णय के विरोध में शुक्रवार को लगभग 15 हजार कर्मचारियों ने काला दिवस के रूप में मनाया। वहीं अधिकारियों ने विरोध स्वरूप आज लंच का बहिष्कार कर दिया।
आयुध निर्माणी खमरिया के पूर्व महाप्रबंधक एवं नवागत सीएमडी रविकांत ने बताया कि जबलपुर की चारों आयुध निर्माणियों का नाम तो पूर्ववत रहेगा, लेकिन उनका संचालन ओएफबी की जगह संबंधित निगम के द्वारा होगा, हालांकि ये रक्षा मंत्रालय के ही अधीन होंगी, यहां कार्यरत सभी कर्मचारी दो साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर रहेंगे । शहर की चारों आयुध निर्माणियां चार अलग-अलग डीपीएसयू के अंतर्गत काम करेंगी, गैर उत्पादन इकाईयों को भी इन डीपीएसयू के अंतर्गम मर्ज किया जाएगा ।
इन निगमों के अधीन शहर की आयुध निर्माणियां
तोप गाड़ी निर्माणी स्थापना (1904) संचालन-एडवांस वेपंस एंड इक्विमेंट इंडिया लिमिटेड कानपुर।
आयुध निर्माणी खमरिया स्थापना (1942) संचालन-म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड पुणे।
वाहन निर्माणी जबलपुर स्थापना (1969)संचालन-आर्मर्ड वीकल्स निगम लिमिटेड चेन्नई।
ग्रे आयरन फाउंड्री स्थापना (1973)संचालन-यंत्र इंडिया लिमिटेड नागपुर।
निर्माणियों के पास जमीन
1900 एकड़ तोप गाड़ी निर्माणी के पास है।
4500 एकड़ आयुध निर्माणी खमरिया के पास है।
900 एकड़ जीआईएफ और वाहन निर्माणी के पास है।
अब इन निर्माणियों को टेंडर से मिलेंगा काम
आयुध निर्माणियों को 7 कंपनियों में तब्दील करने के बाद आर्मी, एयरफोर्स और नेवी की ओर से इन कारखानों को डायरेक्ट काम नहीं मिलेगा. अभी तक रक्षा मंत्रालय के माध्यम से डायरेक्ट काम मिलते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, सरकार अब डिफेंस सेक्टर में जो भी टेंडर डालेगी, इसमें इन कंपनियों को भी हिस्सा लेना होगा. बिड क्वालिफाई करने के बाद ही इनको कंपनियों को काम मिलेगा। सरकार इसलिए भी ऐसा करना चाहती है कि ये कंपिनयां प्राइवेट कंपनियों को टक्कर दें, इन सभी कंपनियों का पंजीकरण रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) में कराया गया है।
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