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शादी की उम्र में बदलाव के प्रस्ताव वाले विधेयक की जांच बुधवार को करेगा संसद पैनल


नई दिल्ली । संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee) 13 अप्रैल को अपनी पहली बैठक में शादी की उम्र में बदलाव (Change the Age of Marriage) के प्रस्ताव वाले विधेयक (Bill Proposed) के साथ ही शिक्षा (Education), महिला, बच्चे, युवा, खेल (Women,Child, Youth, Sports) और बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक (Child Marriage Prohibition (Amendment) Bill) की जांच करेगी (Will Examine)।


इस विधेयक को इस साल शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था। भाजपा सांसद विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली समिति अपनी पहली बैठक में जया जेटली समिति के सदस्यों की सुनवाई करेगी, जोकि बुधवार को है। पैनल को अब 24 जून तक अपनी रिपोर्ट देनी है।
इससे पहले सांसद सुष्मिता देव संसदीय पैनल की एकमात्र महिला सदस्य हैं जो बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक की जांच करेगी, जिसमें महिलाओं की कानूनी शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल की गई है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में इस बिल को पेश किया। फिर इसे जांच के लिए 31 सदस्यीय समिति के पास भेजा गया।

राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय सहस्रबुद्धे के नेतृत्व वाली संसदीय स्थायी समिति की सदस्यों की सूची के अनुसार 31 सदस्यों में सुष्मिता देव अकेली महिला हैं, वहीं शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने भी उच्च सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर समिति पर फिर से विचार करने और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए समिति में अधिक महिला सदस्यों को शामिल करने का आग्रह किया था। बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 में मौजूदा कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव है।

गौरतलब है कि पुरुषों और महिलाओं के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु में समानता विधेयक में महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 करने का प्रस्ताव है। उल्लेखनीय है कि देश में लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर काफी लंबे समय से बहस होती रही है। आजादी से पहले बाल विवाह प्रथा को रोकने के लिए देश में अलग-अलग न्यूनतम उम्र तय की गई। 1927 में शिक्षाविद, न्यायाधीश, राजनेता और समाज सुधारक राय साहेब हरबिलास सारदा ने बाल विवाह रोकथाम के लिए एक विधेयक पेश किया।

विधेयक में शादी के लिए लड़कों की उम्र 18 और लड़कियों के लिए 14 साल करने का प्रस्ताव था। उसके बाद 1929 में जो कानून बना उसे सारदा एक्ट के नाम से जाना जाता है। फिर 1978 में इस कानून में संशोधन कर लड़कों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 साल कर दी गई। अब फिर एक बार यह कानून बदलाव की प्रक्रिया में है।

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