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पेट्रोल 200 रुपये प्रति लीटर, दवाओं की भी कमी….मणिपुर में जरूरी वस्तुओं के लिए संघर्ष कर रहे लोग

इंफाल (Imphal)। मणिपुर (Manipur) में भड़की हिंसा को एक महीने बीत चुके हैं। इसके बावजूद हालात अभी भी सामान्य नहीं है। राज्य के लोगों को अपनी दैनिक जरूरतें पूरी करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां ब्लैक मार्केट (black market) में पेट्रोल 200 रुपये लीटर मिल रहा है। जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी है। साथ ही एटीएम खाली हैं और दुकानें हर दिन कुछ ही घंटों के लिए खोली जा रही हैं। हाइवे ब्लॉक होने के कारण इस तरह की दिक्कतें काफी बढ़ गई हैं। राज्य के अधिकतर लोगों का कहना है कि वे जल्द से जल्द हालात को सामान्य होते देखना चाहते हैं।

जातीय हिंसा (racial violence) के चलते दोनों समुदाय के कई सदस्यों ने अपने घरों को खो दिया। लोगों को हजारों किलोमीटर दूर मणिपुर, दिल्ली, दीमापुर या गुवाहाटी स्थित राहत शिविरों में शरण लेना पड़ा। मगर, उन लोगों की क्या स्थिति है जो महीने भर से इंटरनेट कनेक्शन (Internet connection) के बिना दुनिया से कट गए हैं। यहां हर दिन कुछ घंटों के लिए कर्फ्यू में थोड़ी-बहुत ढील दी जाती है। दरअसल, राज्य के विभिन्न इलाकों में छिटपुट हिंसा जारी है, इसलिए हालात अभी पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाए हैं। लोगों को दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुओं के लिए संघर्ष (Conflict) करना पड़ रहा है।


जरूरी वस्तुओं की कीमत रातोंरात दोगुनी
हिंसा भरे माहौल में जरूरी वस्तुओं की कीमत रातोंरात दोगुनी हो गई। दरअसल, नेशनल हाईवे-2 पर आवाजाही रोक दी गई है जिसके चलते मालवाहक ट्रक राजधानी इंफाल (Imphal) तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। चावल की औसत कीमत पहले 30 रुपये प्रति किलोग्राम थी जो अब बढ़कर 60 रुपये हो गई है। सब्जियों (vegetables) की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। प्याज यहां पहले 35 रुपये प्रति किलो था, जो अब 70 रुपये हो चुकी है। आलू की कीमत 15 रुपये से बढ़कर 40 रुपये हो गई है। अंडे की कीमत 6 रुपये प्रति पीस से बढ़कर 10 रुपये प्रति पीस हो गई है। रिफाइंड तेल भी काफी महंगा है। इसके अलावा, लोगों को जीवन रक्षक दवाएं हासिल करने में भी मुश्किलें पेश आ रही हैं।

मणिपुर में कैसे बिगड़े हालात
मेइती समुदाय की ओर से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद जातीय हिंसा भड़क उठी। आरक्षित वन भूमि से कुकी समुदाय के ग्रामीणों को बेदखल करने पर पहले से तनाव था। मामले पर कई प्रदर्शन भी हुए थे। हिंसा की घटनाओं में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में विश्वास बहाली के उपायों के तहत 4 दिनों के लिए राज्य का दौरा किया और समाज के सभी वर्गों से मुलाकात की। गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर की शांति और समृद्धि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया।

शाह ने नाकेबंदी हटाने की अपील की
इस बीच, अमित शाह ने रविवार को मणिपुर के लोगों से राष्ट्रीय राजमार्ग-2 से नाकेबंदी हटाने की अपील की, ताकि राज्य में भोजन, दवा और ईंधन जैसी बुनियादी और जरूरी चीजें पहुंच सकें। शाह ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर नागरिक समाज के सदस्यों से इस संदर्भ में पहल करने को कहा है। उन्होंने कहा, ‘मणिपुर के लोगों से मेरी विनम्र अपील है कि इंफाल-दीमापुर, राष्ट्रीय राजमार्ग-दो पर लगाई गई नाकेबंदी को हटा लें, ताकि भोजन, दवाइयां, पेट्रोल/डीजल और अन्य आवश्यक वस्तुएं लोगों तक पहुंच सकें। मैं यह भी अनुरोध करता हूं कि नागरिक संगठन आम सहमति बनाने के लिए जरूरी कदम उठाएं। हम सब मिलकर ही इस खूबसूरत राज्य में सामान्य स्थिति बहाल कर सकते हैं।’

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