भारत की संस्कृति के साथ नए भारत के दर्शन भी कराए
इंदौर। कल कांग्रेसियों (Congressmen) की बैठक के साथ-साथ अभय प्रशाल (Abhay Prashal) में आयोजित हुए कार्यक्रम में कमलनाथ (Kamal Nath) का एक अलग ही दार्शनिक स्वरूप नजर आया। उन्होंने न केवल भारत के इतिहास (History) से संबंधित बात की वही उसकी तुलना पश्चिमी देशों से भी कर डाली उन्होंने कहा कि भले ही हम संस्कृति विचारधारा और धर्म में अलग-अलग हैं लेकिन पूरा हिंदुस्तान (Hindustan) इसी संस्कृति में में बंधा हुआ है।
अभय प्रशाल (Abhay Prashal) में संस्था उदय अभय भारत (Institution Uday Abhay India) द्वारा आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा कमलनाथ (Kamal Nath) को सुनने के लिए जुटे। कमलनाथ ने अपनी बात की शुरुआत भारत की सांस्कृतिक विरासत से शुरू की और कहा कि जापान फ्रांस जर्मनी इंग्लैंड को कभी एक सूत्र में बांधने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि वहां सब एक रंग के हैं जबकि हिंदुस्तान में अलग-अलग रंग की विरासत धर्म जाति समाज आचार विचार अलग-अलग है इन में एकता बनाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी सांस्कृतिक दृष्टि से काफी समृद्ध है उन्होंने वहां मौजूद युवाओं से इस तरह से बात की कि वह एक शिक्षक है उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में राहुल गांधी जो भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं वह यात्रा आज की स्थिति को लेकर है जब आपस में लोगों में फूट डालने के प्रयास किए जा रहे हैं, उन्होंने भाजपा का नाम नहीं लिया और कहा कि भाजपा प्रचार प्रसार करके माहौल बना रही है। इससे प्रदेश का विकास नहीं होने वाला है कार्यक्रम के आयोजक स्वप्निल कोठारी ने भारत जोड़ों की तैयारियां और मौजूदा वक्त में कांग्रेस की जरूरत के बारे में भी कहा। कार्यक्रम में प्रदेश के प्रभारी जेपी अग्रवाल भी विशेष रूप से मौजूद थे। अग्रवाल ने भी इतनी बड़ी संख्या में युवाओँ को देखते हुए कहा कि यही देश की ताकत है और यही देश को आगे ले जाने का काम करेंगे। कुल मिलाकर कल कमलनाथ के अंदर एक दार्शनिक स्वरूप नजर आया, जिसमें उन्होंने अपनी बात युवाओं के समक्ष कही और और उसे राजनीतिक रूप भी दे दिया। इस दौरान शहीद गौतम जैन के परिजनों का सम्मान भी किया गया एवं विलास पुराणिक, प्राची अग्रवाल और डॉ रचना घाडगे का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम को सुनने के लिए एक घंटा पहले से ही युवा हाल में पहुंच गए थे। कार्यक्रम की एक खास बात यह भी रही कि कार्यख्रम में राजनीतिक लोग ही मौजूद थे, जिसमें नारेबाजी नहीं ुहई।
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