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ओबीसी जनगणना पर राजनीतिक घमासान- आखिर सरकार क्यों नहीं करवा सकती है जातिगत जनगणना?


नई दिल्ली। जातिगत जनगणना (Caste census) को लेकर समाजवादी पार्टी (SP) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) जैसे विरोधी ही नहीं, बल्कि अपना दल (Apna dal) और जेडीयू (JDU) जैसे सहयोगी दल भी लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। आखिर सरकार (Government) क्यों नहीं करवा सकती है जातिगत जनगणना?


कानूनी और तकनीकी रूप से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपना रूख साफ कर दिया है, लेकिन विरोधी दल चुनावी मैदान में इसे जोर-शोर से उठाने की तैयारी कर रहे हैं। खासतौर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनने जा रहा है। इसे लेकर सरकार ने भी अब अपनी तैयारी शुरू कर दी है। तकनीकी और कानूनी तौर पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रूख साफ कर दिया है और अब जमीनी धरातल पर राजनीति के मैदान में भी सरकार ने इस मुद्दें पर विरोधी दलों को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है।
सरकार के एक दिग्गज मंत्री ने बताया कि विरोधी दलों को जाति और आरक्षण के मूल आधार की समझ ही नहीं हैं और न ही उन्हे इसके तकनीकी, सामाजिक और कानूनी पहलू की समझ है। विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए उन्होने कहा कि ये दल जातियों के आधार पर देश को बांटकर देश तोड़ना चाहते हैं।

भाजपा के एक बड़े नेता ने सवाल उठाया कि मुलायम और लालू परिवार को यह बताना चाहिए पिछले 30 सालों में उन्होंने ओबीसी की किन-किन जातियों का भला किया ? उन्हे यह बताना चाहिए कि लंबे समय तक बिहार और उत्तर प्रदेश में राज करने के बावजूद उन्होने ओबीसी की सभी जातियों को सत्ता में भागीदारी क्यों नहीं दी और उनका सामाजिक न्याय सिर्फ कुछ ही जातियों तक सिमट कर क्यों रह गया ?
दूसरी तरफ , सरकार के दिग्गज मंत्री ने कहा कि भारत में 4 संदर्भों में आरक्षण की व्यवस्था है – जाति , जनजाति , पिछड़ने की वजह से और कमजोर तबकों को।
एससी आरक्षण में जाति महत्वपूर्ण है और ओबीसी आरक्षण में पेशा। उन्होने कहा कि किसी भी वजह से समाज के वो हिस्से जो आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ गए हैं , उनको मौका देने के लिए मंडल आयोग की सिफारिश के आधार पर ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था संविधान में की गई। इसलिए क्रीमी लेयर का सिद्धांत सिर्फ ओबीसी आरक्षण में ही लागू है।

उन्होने कहा कि देश में हमेशा से महापुरूषों ने जाति व्यवस्था को तोड़ कर समाज और देश को मजबूत बनाने की कोशिश की लेकिन कुछ विपक्षी दल ओबीसी जातियों की जनगणना का मुद्दा उठाकर देश को तोड़ना चाहते हैं। उन्होने तकनीकी सवाल उठाते हुए पूछा कि अंतजार्तीय विवाह में जाति की गणना किस आधार पर होगी ? जिन धर्मों में जाति की अवधारणा ही नहीं हैं, उसमें जाति की गिनती कैसे होगी?
विरोधी दलों के रवैये पर सवाल उठाते हुए भाजपा आरोप लगा रही है कि क्या ओबीसी जातिगत जनगणना की मांग करने वाले ये दल चाहते हैं कि देश के लगभग 20 प्रतिशत मुसलमानों को इस जनगणना से अलग रखा जाए ?

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