मध्‍यप्रदेश

मध्यप्रदेश में उपचुनाव से पहले शुद्ध के लिए युद्ध अभियान पर भाजपा और कांग्रेस में श्रेय लेने पर सियासत तेज

शिवराज के मंत्री तुलसी सिलावट और कमलनाथ के पूर्व मंत्री गोविंद सिंह के बीच छिड़ी जुबानी जंग

भोपाल। मध्यप्रदेश में खाली हुई 27 विधानसभा सीटों पर अब जल्द ही उप चुनाव का बिगुल बजने वाला है। किसी भी वक्त चुनाव आयोग उप चुनाव की तारीखों का ऐलान भी कर सकता है। दोनों ही दल युद्ध स्तर पर चुनाव के प्रचार अभियान में भी जुटे हुए हैं। इस बीच मध्य प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच प्रदेश में चलाए गए शुद्ध के लिए युद्ध अभियान को लेकर श्रेय लेने की सियासत भी तेज हो गई है। शुद्ध के लिए युद्ध महा अभियान मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान चलाया गया था, जिस को चलाने का पूरा श्रेय उस समय कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे और अब वर्तमान में शिवराज सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट के प्रयासों को जाता है। लेकिन इस शुद्ध के लिए युद्ध महा अभियान चलाने को लेकर कमलनाथ के पूर्व मंत्री ने ही नई जंग छेड़ दी है। कमलनाथ के पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ने दावा किया कि प्रदेश में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को मैंने दिया था। मेरे ही अनुरोध पर कमलनाथ सरकार ने प्रदेश भर में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाकर मिलावटखोरों की ईंट बजा दी थी। पूर्व मंत्री गोविंद सिंह के इस बयान पर शिवराज के मंत्री तुलसी सिलावट ने पलटवार करते हुए कहा है कि शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की वकालत तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से मैंने की थी। यह मेरी सोच का ही नतीजा था। मेरे द्वारा प्रस्ताव देने के बाद ही कमलनाथ सरकार ने अभियान चलाया था। गोविंद सिंह को कुछ पता नहीं है वे इस अभियान के प्रस्ताव को भी नहीं लाए थे। प्रदेश की जनता काफी समझदार है। वह सब कुछ जानती है कि यह शुद्ध के लिए युद्ध अभियान किसने चलाया था। मंत्री तुलसी सिलावट ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि अंदरूनी कलह के कारण कमलनाथ सरकार गिरने के बाद कांग्रेश के पास बोलने के लिए कुछ है नहीं इसलिए बेबुनियाद दावे करने पर जुटी हुई है। गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस से बगावत करने के बाद तुलसी सिलावट सहित कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से बगावत कर बेंगलुरु में शरण ले ली थी और विधायक पद तथा कांग्रेस पार्टी से बेंगलुरु से ही इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद काफी दिनों तक प्रदेश में सियासी ड्रामा भी चला था, जिसके पश्चात अंततः कमलनाथ सरकार को हार माननी पड़ी और इस्तीफा देना पड़ा, जिसके बाद ही प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की शिवराज सरकार सत्ता में आ गई। सनद रहे कमलनाथ सरकार में भी तुलसी सिलावट मंत्री थे और सूत्रों के अनुसार उन्होंने ही शुद्ध के लिए युद्ध अभियान का शंखनाद का प्रस्ताव दिया था।

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