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प्रणब मुखर्जी नहीं चाहते थे राबड़ी बनें CM, सोनिया ने बनाया दबाव; शर्मिष्ठा का बड़ा खुलासा

नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की किताब ‘इन प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ काफी चर्चा में आ गई है. पिछले हफ्ते ही इस किताब का विमोचन किया गया था. इस किताब में पिछले कई दशक की मुख्यधारा की राजनीति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संबंधों पर रोशनी डाली गई है. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने इस पुस्तक में कई ऐसी बातों की तरफ इशारा किया है, जिससे ये पता चलता है कि बड़ी राजनीतिक हलचलों के दौरान प्रणब मुखर्जी की पार्टी में कब और किस तरह की हैसियत थी.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने News9 पर कार्तिकेय शर्मा ‘ऑन पॉइंट’ शो में अपने पिता और कांग्रेस के सीनियर लीडर्स के साथ के संबंधों पर भी खुलकर बातचीत की है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि लालू प्रसाद यादव के इस्तीफा देने के बाद जब बिहार में सियासी संकट गहरा गया था, उस वक्त सोनिया गांधी ने प्रणब मुखर्जी को राज्य के कांग्रेस विधायकों को राबड़ी देवी सरकार का समर्थन करने के लिए मनाने को कहा था.


पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने इस स्पेशल इंटरव्यू में गांधी परिवार के साथ अपने पिता के खराब संबंधों के बारे में भी खुलकर बात की है. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया कि हमारे पिता ने मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी जैसे कांग्रेस के कई सीनियर लीडर्स के साथ सालों तक काम किया, इसके बावजूद उनके बीच सोच-विचार में काफी अंतर देखने को मिलता है. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि मुझे कई ऐसे वाकये को जानने के बाद आज तकलीफ होती है.

इस इंटरव्यू में उन्होंने एक वाकये का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि ये वाकया तब का है जब बिहार में लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के आरोप में इस्तीफा देना पड़ा था, तब राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. उस वक्त बिहार के कांग्रेस नेता नाराज थे. वे राबड़ी देवी का समर्थन नहीं करना चाहते थे. यहां तक कि मेरे पिता भी ऐसी हालत में नहीं चाहते थे कि कांग्रेस समर्थन करे. लेकिन अंतत: सोनिया गांधी ने राबड़ी सरकार का समर्थन करने का फैसला किया और बिहार के कांग्रेसी विधायकों को मनाने के लिए सोनिया गांधी ने मेरे पिता का इस्तेमाल किया.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने इस बातचीत में कहा कि उस वाकये को जानकर बहुत से लोगों को ताज्जुब हुआ था. इससे ये भी समझा जा सकता है कि पार्टी के भीतर उनकी क्या अहमियत थी. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया कि यह काफी रोचक पहलू है, जिसका जिक्र भी हमने इस किताब में किया है. ऐसे वाकयों को याद करके मुझे आज बहुत बुरा लगता है. उन्होंने कहा कि मेरे पिता बहुत ही स्ट्रांग पर्सनाल्टी वाले इंसान थे. किसी भी मुद्दे पर पार्टी के हर फोरम पर अपनी बेबाक राय रखते थे.

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