इंदौर न्यूज़ (Indore News)

नई आबकारी नीति में तीन तरह के शराब के उत्पादन और बिक्री को मिलेगी मंजूरी

खुशबू से भी तय होगी शराब की पहचान, देसी-विदेशी के साथ हेरीटेज शराब के मानक भी विभाग ने किए तय – जल्द लागू होगी नई नीति

इंदौर। शासन की नई आबकारी नीति (new excise policy) जल्द लागू होगी। संभवत: अगली केबिनेट बैठक में उसे मंजूर किया जाएगा। दरअसल उमा भारती सहित कांग्रेस के विरोध के चलते फूंक-फूंककर नीति बनाई जा रही है, क्योंकि यह चुनावी साल भी है और मौजूदा भाजपा सरकार कतई नहीं चाहती कि आबकारी नीति (excise policy) के चलते उस पर किसी तरह के आरोप लगे। तीन तरह की शराब उत्पादन और बिक्री के लिए रहेगी, जिन्हें अलग-अलग तरीके से परिभाषित भी किया गया है। देसी-विदेशी के साथ हेरीटेज मदिरा को भी अनुति मिलेगी और खूशबू से शराब की पहचान होगी।


हर बार आबकारी नीति  excise policy) जब लागू होती है तब हो-हल्ला मचता ही है। सरकार किसी भी दल की हो, वह शराब से होने वाली आमदनी को नहीं छोड़ सकती, क्योंकि हजारों करोड़ का राजस्व हासिल होता है। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार को भी हर बार आबकारी नीति के चलते आलोचना सहना पड़ती है और इस बार तो उसी की पार्टी की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने मोर्चा संभाल रखा है। लिहाजा मुख्यमंत्री से लेकर आबकारी अधिकारी फूंक-फूंककर नीति बनाने और उसे लागू करने के प्रयासों में जुटे हैं। 2023-24 की नीति जल्द घोषित होगी, क्योंकि उसके साथ सभी जिलों में ठेकों की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी, ताकि 1 अप्रैल से नई पॉलिसी के तहत सभी 52 जिलों में शराब ठेके उठ जाएं। इस बार सूत्रों का कहना है कि तीन तरह की शराब को अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया गया है और भारत में बनी शराब की खूशबू या रंग अगर विदेशों से आने वाली शराब की तरह रहेगा, तो उसे विदेशी शराब की कैटेगरी में ही शामिल किया जाएगा। अगर खुशबू विदेशी आयातीत की तरह नहीं रही तो उसे विदेशी शराब की श्रेणी में नहीं रखेंगे। वहीं हेरीटेज मदिरा की भी एक नई श्रेणी तैयार और परिभाषित की गई है। अभी कुछ ब्रांड तो प्रस्तुत भी कर दिए हैं। महुआ फूलों से बनी शराब को ही हेरीटेज की श्रेणी में माना जाएगा, जिसमें किसी भी तरह का सिंथेटिक या कृत्रिम रंग नहीं मिलाया जाएगा। अब देखना यह है कि आबकारी नीति में शासन क्या बदलाव कर उसे लागू करती है।

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