लंदन। नए कोरोना टीका प्रोटोकॉल (New Corona Vaccine Protocal) के तहत यात्रा ढील में भारतीय टीकों को मान्यता नहीं (Indian vaccines not recognized) देने को लेकर ब्रिटेन (Britain) पर दबाव बढ़ने लगा है। नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स एंड एल्यूमनाई यूनियन की अध्यक्ष (President of National Indian Students and Alumni Union) सनम अरोड़ा (Sanam Arora) ने कहा, यह कदम भेदभाव पूर्ण है।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कमाई के मामले में दूसरे नंबर पर भारतीय छात्रों से ब्रिटेन (Britain) सालाना 2.88 करोड़ पाउंड कमाता है। उसके बावजूद वहां के छात्रों व लोगों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों।
नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स एंड एल्यूमनाई यूनियन की अध्यक्ष सनम अरोड़ा ने कहा, जॉनसन प्रशासन के इस फैसले से भारतीय छात्र खास परेशान हैं। ब्रिटेन सरकार उन्हें अमेरिका व यूरोपीय संघ के अन्य देशों से आने वाले छात्रों से अलग रख रही है। हम भारतीयों व वहां के छात्रों के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं करेंगे। वहीं भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद वीरेंद्र शर्मा ने भी इस मुद्दे पर आवाज बुलंद की है।
ब्रिटेन ने शुक्रवार को अपने यात्रा नियमों ढील देते हुए पीली और हरी सूची को खत्म कर दिया था। भारत यूं तो पीली सूची में था लेकिन उसके बावजूद भारतीय टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगवाने वाले भारतीयों को ब्रिटेन यात्रा पर इस ढील का कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि इन दोनों टीकों को मान्यता नहीं दी गई। इन टीकों को लगवाने वाले लोगों को आरटीपीसीआर टेस्ट और अनिवार्य 10 दिन क्वारंटीन रहना होगा।
भारत के लोगों को मान्यता देने के प्रयास जारी: ब्रिटिश उच्चायोग
चौतरफा घिराव के बाद दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग ने सोमवार को कहा, जॉनसन सरकार भारत में टीका लगवा चुके लोगों को मान्यता देने के प्रयास कर रही है। इसके लिए भारत सरकार से लगातार बातचीत जारी है। ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा, उपयुक्त स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा टीका लगवाने वालों को मान्यता दी जा सकती है। ब्रिटेन सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को जल्द से जल्द मान्यता देने के लिए प्रतिबद्ध है।