इंदौर। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर (Indore) के पास अत्यधिक दबाव वाले रूटों पर स्पेशल ट्रेनें (special trains) चलाने के लिए ट्रेनों के अतिरिक्त रैक की कमी सबसे बड़ा रोड़ा है। यही वजह है कि हर साल गर्मियों की छुट्टियों में इक्का-दुक्का स्पेशल ट्रेनें चलाकर पश्चिम रेलवे इंदौर से हाथ जोड़ लेता है। ले-देकर इंदौर से पटना और इंदौर से बांद्रा टर्मिनस के लिए साप्ताहिक स्पेशल ट्रेनें चला दी जाती हैं और दूसरे महत्वपूर्ण रूट उपेक्षित रह जाते हैं।
होली पर भी जो महू-इंदौर-पटना स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है, वह महू-इंदौर-यशवंतपुर साप्ताहिक एक्सप्रेस के रैक से चलाई जा रही है। स्पेशल ट्रेनें चलाने में यही रैक सबसे ज्यादा काम आता है। बांद्रा स्पेशल के लिए भी एकाध रैक की जुगाड़ करना पड़ती है। इसके अलावा नई दिल्ली, हावड़ा, पुणे, लखनऊ, गोरखपुर, कोंचुवैली और गुवाहाटी जैसे महत्वपूर्ण रूटों पर स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए कभी सोचा भी नहीं जाता। रेलवे अफसर स्पेशल ट्रेन नहीं चल पाने के लिए रैक नहीं होने के अलावा पाथ नहीं मिलने, प्लेटफॉर्म खाली नहीं होने या मेंटेनेंस स्लॉट की कमी जैसे कारण भी गिनाते हैं। मुंबई या अहमदाबाद जैसे शहरों से खूब स्पेशल ट्रेनें चलाई जाती हैं, लेकिन तब ये सब समस्याएं पश्चिम रेलवे को नहीं आतीं। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि इंदौर से चलने वाली स्पेशल ट्रेनों की घोषणा ऐन मौके पर की जाती है, जबकि मुंबई-अहमदाबाद जैसे शहरों में काफी पहले से स्पेशल ट्रेनें चलने की तारीेखें बता दी जाती हैं।
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