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महाराजा, राजा और नवाब टाइटलों पर बिफरा राजस्थान हाईकोर्ट


जयपुर । भारत के आजाद होने (India became Independent) के बाद रजवाड़े खत्म हो गए(Princely States ended), लेकिन नामों के आगे आज भी उनके वंशज राजा, महाराजा और नवाब (Raja, Maharaja and Nawab titles) लगाने से बाज नहीं आ रहे। राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) बिफर गया (Bickers) । लिहाजा उसने केंद्र व राज्य सरकारों को नोटिस देकर पूछा है कि संविधान में तमाम बदलाव के बाद भी ऐसा क्यों हो रहा है? इस मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी को की जाएगी। उससे पहले ही सरकारों को अपना जवाब दाखिल करना है।


राजस्थान हाईकोर्ट ने यह जवाब पूर्व भरतपुर रियासत के राजा मान सिंह के बेटों के बीच संपति विवाद के मामले में सुनवाई के दौरान आए राजा शब्द के इस्तेमाल पर मांगा है। जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच पूर्व भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह के बेटों के बीच संपति विवाद के मामले में सुनवाई कर रही थी। एक पक्षकार लक्ष्मण सिंह के नाम के आगे राजा शब्द जुड़ा हुआ है। बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी और महाधिवक्ता एमएस सिंघवी से पूछा कि 26वें संविधान संशोधन के तहत अनुच्छेद 363-ए जोड़ने के बाद भी क्या कोई अपने नाम के आगे राजा, महाराजा शब्द जोड़ सकता है? रस्तोगी केंद्र की तरफ से जबकि सिंघवी राज्य की तरफ से कोर्ट में पेश हुए।

जस्टिस समीर जैन ने अनुच्छेद 363-ए का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत राजा, महाराजा, राजकुमार, नवाब की पदवी हटाते हुए इनके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी। अलबत्ता फिर भी लोग इसके बेजा इस्तेमाल से बाज नहीं आ रहे। कोर्ट का सवाल था कि क्या इस प्रावधान के बाद भी कोई अपने नाम के आगे राजा, महाराजा और राजकुमार की पदवी का इस्तेमाल करके कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। अनुच्छेद 14 का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि संविधान में देश के हर नागरिक को समानता का अधिकार दिया गया है।

दरअसल तत्कालीन भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह परिवार की जयपुर स्थित बरवाड़ा हाउस की सम्पति के बंटवारे का विवाद पिछले 10 साल से जयपुर की अधीनस्थ अदालत चल रहा है। इसी मामले में मानसिंह के बेटे भगवती सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके निचली अदालत के साक्ष्य में कुछ दस्तावेज रिकॉर्ड पर लेने के आदेश को चुनौती दी है। इस मामले में दूसरे पक्षकार लक्ष्मण सिंह ने अपने नाम के आगे राजा लिखा हुआ था। हालांकि, उनका कहना था कि उन्होंने इसी टाइटल के साथ ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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