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नाइट गार्ड की नौकरी से IIM प्रोफेसर तक का सफर

नई दिल्ली । अगर इंसान ईमानदारी से मेहनत करे तो कुछ भी हो सकता है. ऐसे लोग गरीबी और पैसों की किल्लत में भी अपने सपनों को कभी टूटने नहीं देते. ये जगजाहिर है कि मेहनत का फल मीठा होता है. कुछ ऐसी ही कहानी है केरल के रहने वाले रंजीत रामचंद्रन (Ranjit Ramachandran) की. 28 साल के रामचंद्रन का पिछले दिनों IIM रांची में प्रोफेसर के तौर पर चयन हुआ है. उनकी संघर्ष भरी कहानी आपको भी जीवन में कुछ नया करने का हौसला देगा. कहते हैंं यदि आपका उत्‍‍‍‍‍साह बना हुआ है तो आप बड़े से बड़े काम भी कर सकते हो, यदि हार के भय को आपने हरा दिया तो कोई आपको सफल होने से नहीं रोक सकता है. दरअसल ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है.


रंजीत रामचंद्रन (Ranjit Ramachandran) इन दिनों बेंगलुरु (Bengaluru) के क्रिस्ट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor CREST University ) हैं. शनिवार को उन्होंने केरल के अपने घर की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की और लिखा- ‘IIM के प्रोफेसर का जन्म इसी घर में हुआ है’. प्लास्टिक और ईंट से बना ये छोटा सा घर किसी झुग्गी की तरह दिखता है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि उनकी जीवन की संघर्ष भरी कहानी से आज के युवा प्रेरणा लें. रामचंद्न ने कहा, ‘मेरी सफलता दूसरों के सपनों को प्रेरित करना चाहिए. एक समय मैंने परिवार को सपोर्ट करने के लिए पढ़ाई छोड़ने का फैसला कर लिया था.’

संघर्ष का दौर कुछ ऐसा रहा 
रंजीत रामचंद्रन के पिता रवींद्रन टेलर का काम करते हैं. मां बेबी मनरेगा में मजदूर हैं. वो तीन भाई-बहन हैं. और ये सब 400 स्क्वायर फीट के घर में रहते हैं. वो केरल के कासरगोड जिले में एक अनुसूचित जनजाति (मराठी भाषी समुदाय) श्रेणी के हैं, लेकिन रंजीत ने कहा कि उन्हें अपने करियर में आरक्षण की आवश्यकता नहीं है.

नाइट गार्ड की नौकरी कर आगे बढ़ा 
कासरगोड में कॉलेज के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘उच्च माध्यमिक शिक्षा के बाद मैं अपने माता-पिता को आर्थिक मदद करने के लिए नौकरी की. मुझे अपने छोटे भाई और बहन, दोनों को पढ़ाई के लिए खर्चा देना था. मुझे एक स्थानीय बीएसएनएल टेलीफोन एक्सचेंज में रात के चौकीदार की नौकरी मिल गई, इसके लिए मुझे 4,000 रुपये महीने मिलते थे. मैंने अपने गांव के पास, राजापुरम के पियस एक्सथ कॉलेज में डिग्री कोर्स (अर्थशास्त्र) में दाखिला लिया. दिन के में कॉलेज गया और शाम को टेलीफोन एक्सचेंज लौट आया, जहां मैं पूरी रात ड्यूटी करता था. इसके बाद मैंने आईईटी मद्रास से इकॉनमिक्स में पढ़ाई की ‘

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