इंदौर न्यूज़ (Indore News)

बहुओं के गुस्से से टूट रही रिश्तों की डोर

  • वन-स्टॉप सेंटर में सास-बहू की अनबन के आ रहे ज्यादातर मामले
  • 942 मामलों में काउंसिलिंग के बाद बिखरने से बचे 600 परिवार…हर माह 250 मामले हो रहे दर्ज

इंदौर (Indore)। आमतौर पर सास, बहू, देवरानी, जेठानी के झगड़े, दहेज प्रताडऩा जैसे मामले परिवार बिखरने का कारण बनते आए हैं, लेकिन अब युवा वर्ग (नवविवाहित) के गुस्से के कारण भी रिश्तों की डोर टूट रही है। जी हां, ऐसे ही कुछ मामले वन-स्टॉप सेंटर में चर्चा का विषय बन चुके हैं। शिकायत, सास को लेकर की गई, लेकिन जब काउंसिलिंग हुई तो मामला बहू के गुस्से के कारण अनबन होने का निकला। ऐसे ही अन्य मामले और हैं, जिनमें समझाइश के बाद सास-बहू व परिवार में मिठास घुली। महिलाओं की मदद और उनकी शिकायतों को हल करने के लिए वन-स्टॉप सेंटर बनाए गए हैं।

बेटा बोला- मां गुस्से वाली दादी प्यार करने वाली
शीला (परिवर्तित नाम) ने वन स्टॉप सेंटर में प्रकरण दर्ज कराया, जिसमें आरोप लगाया कि सास प्रताडि़त करती है और बेटे को भडक़ाती है। घर पर नहीं रहने देती है। काउंसलर अलका फंडसे ने सुनवाई के दौरान पाया कि बहू के गुस्से के कारण परिवार में कलह मची है। कम्मो के दस साल के बेटे ने भी मां के गुस्सैल रवैये के कारण दूरी बना ली थी। बेटे ने बताया कि दादी प्यार करती है और मां डांटती रहती है।


बहू का झूठ पकड़ा, सच आया सामने
बहू रीना (परिवर्तित नाम) अपनी ससुराल में दौलतमंद पिता की धौेंस जमाती थी। वह बार-बार मरने की धमकी दे रही थी। परिवार टूटने की कगार पर ही था। सास पर प्रताडऩा और ससुर पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए वन-स्टाप सेंटर में शिकायत की। काउंसिलिंग के दौरान सच सामने आया। पता चला कि बहू के अत्यधिक गुस्से के कारण विवाद की स्थिति बनी। समझाइश के बाद परिवार टूटने से बच गया।

चार माह में ही सामने आए 942 मामले
महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत कार्यरत वन-स्टॉप सेंटर में परिवार में झगड़े को लेकर हर माह 250 से अधिक मामले आ रहे हैं, इनमें से अधिकतर मामलों में सुलह कराया जा रहा है। कुछ मामले ऐसे हैं, जिनमें सास, ससुर, पति, जेठ, जेठानी पर प्रताडऩा का आरोप लगाया गया तो कुछ में नवविवाहिता (बहू) का अत्यधिक गुस्सा होना परिवार की फूट का कारण बन रहा है। विभाग द्वारा काउंसिलिंग करके ऐसे परिवारों को टूटने से बचाया जा रहा है। चार माह में 942 मामले दर्ज हुए हैं। 2017 से अब तक 9194 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 5753 को परामर्श दिया गया है। लगभग दो हजार से अधिक मामलों में काउंसिलिंग करके परिवार जोड़े गए हैं।

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