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गणेश चतुर्थी व्रत की धार्मिक कथा व महत्‍व, जरूर पढ़ें

दोस्‍तों आज यानी 16 जनवरी दिन शनिवार को विनायक चतुर्थी का व्रत किया जा रहा हैं यह व्रत भगवान श्री गणेश को समर्पित होता हैं । भक्त इस दिन श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं और व्रत भी रखते हैं ऐसा कहा जाता हैं कि जो भक्त आज सम्पूर्ण विधि से श्री गणेश की पूजा करता हैं व्रत के समय इनकी कथा का पाठ करता हैं उसकी सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं । जीवन में आ रहे कष्टों व परेशानियों का भी अंत हो जाता हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान श्री गणेश से जुड़ी विनायक चतुर्थी की व्रत कथा, तो आइए जानते हैं।

गणेश चतुर्थी व्रत कथा-
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा जताई। शिव जी ने चौपड़ खेलना शुरू किया मगर इस खेल में मुश्किल थी कि हार जीत का फैसला कौन करेगा।इसके लिए घास फूस से एक बालक बना कर उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर दी और कहा कि तुम हार जीत का फैसला करना। इसके बाद तीन बार माता पार्वती जीतीं। लेकिन उस बालक ने कहा कि महादेव जीते हैंइस पर माता पार्वती को बहुत गुस्सा आ गया और उस बालक को कीचड़ में रहने का श्राप दिया।


बालक के क्षमा मांगने पर माता पार्वती ने कहा कि एक साल बाद नागकन्याएं यहां आएगी। उनके कहे अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत करने से तुम्हारे कष्ट दूर होंगे। इसके बाद उस बालक ने गणेश की उपासना की और गणेश भगवान प्रसन्न हो गए। गणेश जी ने उसे अपने माता पिता यानी भगवान शिव पार्वती को देखने के लिए कैलाश जाने का वरदान दिया।

बालक कैलाश पहुंच गया। वहीं माता पार्वती को मनाने के लिए शिव जी ने भी 21 दिन तक गणेश व्रत किया और पार्वती जी मान गईं। इसके बाद माता पार्वती ने भी अपने पुत्र से मिलने के लिए 21 दिनों तक व्रत किया और उनकी यह इच्छा पूरी हो गई। माना जाता है कि वो बालक ही भगवान कार्तिकेय हैं।

गणेश चतुर्थी व्रत का महत्‍व
विनायक चतुर्थी तिथि श्री गणेश को अत्यंत प्रिय हैं मान्यताओं के मुताबिक चतुर्थी पर सच्चे मन से और श्रद्धा भाव के साथ जो भी भक्त व्रत पूजन करता हैं भगवान उसकी कामनाओं को जरूर पूरा करते हैं श्री गणेश को बुद्धि और शुभता का देवता माना गया हैं इनकी कृपा से मनुष्य की बुद्धि तेज होती हैं और सभी कार्य बिना किसी विघ्न, बाधा के पूर्ण हो जाते हैंघर में शुभता बनी रहती हैं। चतुर्थी तिथि पर श्री गणेश भगवान की पूजा करना लाभकारी माना जाता हैं इस दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करना चाहिए।

घर की भी साफ सफाई करनी चाहिए। उसके बाद भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए और व्रत उपवास का संकल्प लेना चाहिए।इस दिन व्रत करने से जातक के जीवन में चल रही परेशानियों का अंत हो जाता हैं सभी कार्यों में सफलता मिलती हैं और परिवार में सुख शांति समृद्धि बनी रहती हैं किसी भी कार्य में बाधा नहीं आती हैं नौकरी और कारोबार में लाभ मिलता हैं तरक्की होती हैं।

नोट – उपरोक्‍त दी गई जानकारी सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए दी गई है और इसे सिर्फ सामान्‍य सूचना के अनुसार ही लिया जाना चाहिए ।

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