नई दिल्ली । भारतीय माता-पिता (Indian parents)अपने बच्चों की डिजिटल चुनौतियों(Digital challenges) के बारे में अधिक जागरूक हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ी (increased over the year)हुई जागरूकता दिखाते हैं। हालांकि, भारत में एआई के बारे में कुछ चिंताएं भी हैं। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का इस्तेमाल भारत में किया जा रहा है, जो वैश्विक औसत का दोगुना है। इसका खुलासा माइक्रोसॉफ्ट की ‘ग्लोबल ऑनलाइन सेफ्टी सर्वे की रिपोर्ट’ में हुआ है।
मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में शामिल 65 प्रतिशत भारतीयों ने एआई के इस्तेमाल की बात स्वीकार की। खास बात यह है कि सबसे ज्यादा एआई का इस्तेमाल अनुवाद करने में होता है। इसके बाद किसी सवाल का जवाब ढूंढने और अन्य जानकारियों के लिए किया जाता है। इसके अलावा स्कूली छात्र भी पढ़ाई में मदद लेने के लिए एआई का सहारा ले रहे हैं। इस सर्वे में 13 से 17 साल की उम्र के 15,000 किशोरों और वयस्कों को शामिल किया गया।
सर्वे 19 जुलाई से 9 अगस्त, 2024 के बीच 15 देशों में किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार 2023 के मुकाबले 2024 में एआई के इस्तेमाल में 26 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में एआई के इस्तेमाल को लेकर युवा काफी उत्साहित हैं। यहां पर 25 से 44 साल की उम्र के लोग एआई का इस्तेमाल करने में सबसे आगे हैं। 25 से 44 साल की उम्र के लोगों की संख्या से 84 प्रतिशत है।
डीपफेक व घोटाले जैसी चिंताएं भी
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय माता-पिता अपने बच्चों की डिजिटल चुनौतियों के बारे में अधिक जागरूक हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ी हुई जागरूकता दिखाते हैं। हालांकि, भारत में एआई के बारे में कुछ चिंताएं भी हैं। इनमें ऑनलाइन दुरुपयोग, डीपफेक, घोटाले और एआई मतिभ्रम के मामले शामिल हैं, जो वैश्विक रुझानों को भी दर्शाता है।
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