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गुजरात विधानसभा में बीबीसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित, डॉक्यूमेंट्री मामले में सख्त कार्रवाई का किया निवेदन

नई दिल्‍ली (Delhi)। बीबीसी (BBC) की विवादित डॉक्यूमेंट्री (controversial documentary) का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा घटनाक्रम में इस डॉक्यूड्रामा को लेकर गुजरात विधानसभा (gujarat assembly) ने शुक्रवार (10 मार्च) को बीबीसी के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें केंद्र से उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निवेदन किया गया है.

जानकारी के मुताबिक, बीजेपी विधायक विपुल पटेल ने सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि ब्रिटिश ब्रॉडकांस्टिंग कॉरपोरेशन ने इंडिया: द मोदी क्वेश्चन के टाइटल वाली विवादास्पद दो भागों वाली सीरीज साल 2002 की घटनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है और विश्व स्तर पर भारत की छवि खराब करने का प्रयास करती है.


इन लोगों ने प्रस्ताव का किया समर्थन
विपुल पटेल के प्रस्ताव का बीजेपी विधायक मनीषा वकील, अमित ठाकर, धवल सिंह जाला और मंत्री हर्ष सांघवी ने समर्थन किया. हालांकि, इस प्रस्ताव को कांग्रेस विधायकों की गैरमौजूदगी में ध्वनि मत से पारित किया गया. सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने के बाद स्पीकर शंकर चौधरी ने कहा कि बीबीसी का प्रयास निंदनीय है. सदन ने केंद्र को अपना संदेश भेजने के लिए प्रस्ताव पारित किया.

क्या कहा विपुल पटेल ने?
सदन की दूसरी बैठक में विपुल पटेल ने कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इसके संविधान के मूल में है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि एक समाचार मीडिया इस तरह की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर सकता है.” उन्होंने आगे कहा, “अगर वो इस तरह का व्यवहार या कार्य करता है तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता. बीबीसी अपनी विश्वसनीयता खो रहा है और भारत देश और सरकार के खिलाफ कुछ छिपे हुए एजेंडे पर काम कर रहा है. इसलिए ये सदन केंद्र सरकार से ये अनुरोध करता है कि वह बीबीसी डॉक्यूमेंट्री में दिखाए गए चौंकाने वाले नतीजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.”

पटेल ने कहा कि इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए विश्व स्तर पर शीर्ष स्थान पाने के देश के इरादे को प्रभावित करने के एजेंडे के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और उनकी लोकप्रियता को भी धूमिल करने का जानबूझकर प्रयास किया गया. उन्होंने ये भी दावा किया कि दूसरे देशों में ऐसे समय में विपक्षी पार्टियां सरकार का समर्थन करती हैं लेकिन भारत में ऐसा नहीं है, जिसने बीबीसी जैसे इंटरनेशनल संगठनों को देश के खिलाफ गतिविधियों को अंजाम देने की ताकत दी.

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