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सदन में बहस से रालोद नेता की दूरी ने बढ़ाई समाजवादी पार्टी की बेचैनी, क्या UP में बदलेगी गठबंधन की राजनीति

नई दिल्ली। राजनीति में दलों के इधर से उधर जाना कोई बड़ी बात नहीं है। सियासी समीकरणों और दलीय लाभ को देखते हुए अक्सर कई दल कभी सत्ता पक्ष के साथ तो कभी विपक्ष के साथ पहुंच जाते हैं। खास तौर पर चुनावों के दौरान या इससे ठीक पहले ऐसा अक्सर होता है कि कई दल अपना गठबंधन तोड़कर दूसरे गठबंधन में चला जाता है।

पिछले विधानसभा चुनाव में साथ-साथ मैदान में उतरे थे सपा और रालोद
हाल ही में देश के प्रमुख विपक्षी दलों ने I.N.D.I.A. नाम से गठबंधन बनाकर लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी सरकार को कड़ी टक्कर देने और उन्हें सत्ता से हटाने की रणनीति बनाई। इसमें यूपी की राजनीति में बड़ा दल समाजवादी पार्टी भी शामिल है। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव I.N.D.I.A. की पिछली दो बैठकों में व्यक्तिगत रूप से शामिल भी रहे। पश्चिम यूपी में प्रभावशाली और प्रमुख दल रालोद समाजवादी पार्टी की सहयोगी पार्टी है। पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों दल साथ-साथ मैदान में उतरे थे।

बहस के दौरान सदन से अनुपस्थित रहे रालोद नेता
सोमवार को जब विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को लेकर बहस और वोटिंग हुई तो उसमें रालोद के नेता जयंत चौधरी अनुपस्थित रहे। इससे समाजवादी पार्टी के साथ ही विपक्ष की एकता को भी झटका लगा है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वह एनडीए के साथ जाने को इच्छुक है और उनकी बातचीत चल रही है।


मीडिया सूत्रों के मुताबिक जयंत चौधरी की भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत चल रही है। जयंत चौधरी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय लोकदल (RLD) अगर एनडीए के साथ जाता है तो इससे पश्चिमी यूपी में जाटों और किसानों के एक बड़े हिस्से का समर्थन भाजपा को मिलने का रास्ता खुल जाएगा।

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. खुद को काफी मजबूत बता रहा है और गठबंधन के सभी दलों में एकता होने की बात कह रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से नेताओं के जो बयान आ रहे हैं, उससे उसमें दरार साफ दिखने लगी है। इस बीच जयंत चौधरी के बहस के दौरान सदन से अनुपस्थित रहने से यह दरार और बढ़ गई है। सबसे अधिक चिंताजनक स्थिति समाजवादी पार्टी के लिए है। पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) भी समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर एनडीए में आ गई है।

इसके अलावा पिछले कुछ समय में राज्य के करीब आधा दर्जन प्रमुख ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का दामन थाम लिया है। पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के पूर्व सांसद राजपाल सैनी, पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी, पूर्व विधायक सुषमा पटेल और 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के खिलाफ सपा की उम्मीदवार रहीं शालिनी यादव समेत कई प्रमुख ओबीसी नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। इससे समाजवादी पार्टी को पहले ही झटका लग चुका है।

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