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रिश्तों में तनाव के बीच RLD का अखिलेश को स्पष्ट संदेश! इतनी सीटों पर ठोक दिया दावा

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को घेरने के लिए विपक्षी दल एकजुट होने का प्लान बना रहे हैं लेकिन उनकी यह रणनीति क्या हकीकत बन पाएगी, इस बात पर अभी भी सवाल है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाके में बड़ी ताकत माने जाने वाली RLD अगला चुनाव सपा के साथ ही लड़ेगी, इसपर सवाल उठाए जा रहा हैं। कहा जा रहा है कि RLD कांग्रेस-बसपा के साथ तालमेल बैठाने में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ इसके NDA में लौटने की बातें होने लगी हैं। इस बीच रविवार को RLD की तरफ से यह घोषणा की गई कि वह पश्चिमी यूपी की 12 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं।

RLD की तरफ से कहा गया है कि उसे उम्मीद है वो 2024 चुनाव के बाद दोबारा अपना स्टेट लेवल पार्टी का स्टेट पा लेगी। कहा जा रहा है कि रालोद का यह बयान विशेष रूप से सपा के लिए था। RLD के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी को अखिलेश यादव की सपा के साथ गठबंधन के लिए सीटें छोड़ने से कोई खास फायदा नहीं हुआ। 2019 लोकसभा चुनाव में रालोद ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे एक भी सीट नसीब नहीं हुई थी।

किन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है रालोद- पश्चिमी यूपी के जाट बाहुल्य इलाकों को रालोद का गढ़ माना जाता है। वह वेस्ट यूपी की कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, फतेहपुर सीकरी, मथुरा और बागपत सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।

निकाय चुनाव के बाद से तनाव बढ़ा!
दावा किया जा रहा है कि सपा और रालोद के बीच रिश्ते कुछ समय पहले यूपी में हुए निकाय चुनाव के बाद से सामान्य नहीं हैं। कई सीटों पर रालोद के उम्मीदवार के सामने सपा ने भी अपना कैंडिडेट उतार दिए थे। इसके बाद हाल ही में 23 जून को पटना में हुई विपक्ष की पहली मीटिंग में जयंत चौधरी ने शिरकत नहीं की थी।

इसके बाद यह भी रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि जयंत चौधरी ने हाल ही में एक केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की है। उनकी इस मुलाकात के बाद एनडीए में उनकी वापसी की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। हालांकि जयंत चौधरी ने दावा किया है कि वो 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बैठक में शामिल होंगे।


अप्रैल में खोया स्टेट लेवल पार्टी का स्टेटस
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद को 6 फीसदी से कम वोट मिले थे। इसके बाद रालोद से उसका स्टेट लेवल पार्टी का स्टेटस वापस ले लिया गया था। इस चुनाव में रालोद का सपा के साथ गठबंधन था। रालोद ने यूपी की 403 सीटों में से 33 सीटें लड़ी थीं। इनमें से उसे 8 पर जीत हासिल हुई। पार्टी को 2.85 फीसदी वोट मिला। पिछले साल दिसंबर में खतौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मिली जीत के बाद यूपी में रालोद के विधायकों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद को तीन में से एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। उसे सिर्फ 1.69 फीसदी वोट हासिल हुए थे। 2019 में सपा, बसपा और रालोद ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में सपा को 37 सीटों में से 5 पर जीत हासिल हुई थी। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने 347 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 111 सीटों पर जीत मिली।

RLD वर्तमान में गैर मान्यता प्राप्त पार्टी
वर्तमान में रालोद गैर मान्यता प्राप्त पार्टी है। रालोद के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने इंडियन एक्सफ्रेस से बातचीत में कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष भी यह कह चुके हैं कि हम 12 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। हम सपा नेतृत्व के साथ इसपर चर्चा करेंगे। स्टेट लेवल पार्टी का स्टेटस वापस लेने के लिए हमारा यह टारगेट है।

पार्टी के लिए इसे महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद ने ऐसी सीटें छोड़ दी थीं, जहां उसकी जीत तय थी ताकि यूपी में बदलाव लाया जा सके और गठबंधन चलता रहे। उन्होंने आगे कहा कि लेकिन पिछले चुनाव में हमें इससे खास फायदा नहीं हुई। सपा को फायदा हुआ, वो 111 सीटों पर पहुंच गए। हमें भी फायदा हुआ लेकिन हमने अपना स्टेट लेवल स्टेटस खो दिया। अगर हमारे उम्मीदवार ज्यादा सीटों पर लड़े होते तो हमने अपना स्टेटस न खोया होता।

हल्के में न ले सपा!
रालोद के सूत्रों ने कहा कि यह सपा के लिए एक संकेत है कि वो RLD को हल्के में न ले। नगर निगम के चुनाव में RLD चीफ की यह शिकायत थी कि सपा ने उनके लिए एक भी मेयर सीट नहीं छोड़ी, इसमें मेरठ भी शामिल है। मेरठ में भी सपा को हार का सामना करना पड़ा। रालोद के एक सीनियर नेता ने कहा कि ऐसे ही सीटों का बंटवारा होता है। हम 12 सीटें चाहते हैं। हम देखेंगे की वार्ता आगे कैसे बढ़ती है लेकिन एक चीज जो स्पष्ट है वह यह कि रालोद नगर निगम चुनाव की तरफ झुकने वाली नहीं है।

क्या सोचती है सपा?
सपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि रालोद की तरफ से शिकायतें हो सकती है लेकिन वो अभी तक खुद को साबित नहीं कर पायी है। सपा के नेताओं ने कहा कि रालोद ने 2022 में 33 सीटों पर चुनाव लड़ा और 8 पर जीत दर्ज की। उनके पास सिर्फ जाट समुदाय का समर्थन है। उन्हें हमारे साथ गठबंधन करने का फायदा मिला है क्योंकि तभी मुस्लिमों ने उन्हें समर्थन किया। उन्हें देखना चाहिए सपा ने उन्हें उनका हक दिया है।

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