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दबाव बढऩे के चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये पहुच सकता है 76-76.50 तक

नई दिल्ली । विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिकी मुद्रा (US currency) की मजबूती, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और कोविड (Covid) महामारी के प्रकोप के चलते भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ेगा और रुपया अमेरिकी डॉलर (U.S. Dollar) के मुकाबले गिरकर इस साल 76-76.50 के स्तर पर आ सकता है.

आर्थिक अनिश्चितता के बीच रुपया हाल के महीनों में उल्लेखनीय रूप से प्रभावित एशियाई मुद्रा (asian currency) में एक है, और इसमें गिरावट से पहले मौजूदा स्तर के आसपास एक समेकन देखने को मिल सकता है. शेयर बाजार (Share Market) में तेजी के विपरीत हाल के महीनों में रुपया ज्यादातर अमेरिकी डॉलर (U.S. Dollar) के मुकाबले कमजोर रहा है.


साल के अंत तक और गिरेगा

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अमेरिकी डॉलर(U.S. Dollar) – भारतीय रुपये (Indian Rupee) का परिदृश्य 73.50 के स्तर से साथ अल्पकाल के लिए मंदा बना हुआ है. लंबी अवधि में यह गिरकर 75.50-76 के स्तर तक जा सकता है और साल के अंत तक ये 77 के स्तर को भी छू सकता है.

विशेषज्ञों के मुताबिक आगे रुपये की चाल तय करने में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों को लेकर नीति फैसले और बाइडन प्रशासन के चीन के प्रति रुख की अहम भूमिका होगी.

केंद्रीय बैंक के रुख से डॉलर का उतार-चढ़ाव तय होगा

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी पिछली नीति बैठक में हड़बड़ी की थी, लेकिन मुद्रास्फीति, वृद्धि और बॉन्ड कटौती कार्यक्रम को लेकर केंद्रीय बैंक के रुख से डॉलर का उतार-चढ़ाव तय होगा.’’

उन्होंने कहा कि पिछली तिमाही में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने महंगाई में इजाफा किया और इसमें तेजी जारी रहने से भारत का कुल आयात बिल प्रभावित हो सकता है.

कच्चे तेल की ऊंची कीमत और कोविड महामारी के चलते रुपये पर दबाव 

एलकेपी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक जतिन त्रिवेदी ने कहा कि डॉलर सूचकांक के 90 अंक से ऊपर स्थिर होने के कारण लंबे समय में रुपये के लिए रुझान कमजोर होगा. इसके अलावा कच्चे तेल की ऊंची कीमत और कोविड महामारी के चलते रुपये पर दबाव बना है.

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड में जिंस एवं मुद्रा शोध की उपाध्यक्ष सुगंधा सचदेवा ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और अमेरिकी डॉलर सूचकांक में मजबूती के बीच जून के बाद से भारतीय रुपये में भारी गिरावट देखी गई है.

रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक श्रीराम अय्यर ने भी रुपये में कमजोरी का अनुमान जताया. उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि रुपया 73.30 से 75.50 के दायरे में रहेगा और साल के अंत तक यह 76.00-76.50 के स्तर को भी छू सकता है.’’

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