बड़ी खबर व्‍यापार

रुपये ने बनाया गिरावट का नया रिकॉर्ड, पहली बार 83 रुपये प्रति डॉलर से नीचे लुढ़का

नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले (against dollar) रुपये की कीमत में गिरावट (depreciation of rupee) का सिलसिला लगातार जारी है। भारतीय मुद्रा (Indian currency) ने आज एक बार फिर डॉलर के मुकाबले गिरावट का नया रिकॉर्ड (new fall record) बनाया। दिन के कारोबार के दौरान भारतीय मुद्रा ने पहली बार डॉलर के मुकाबले 83 रुपये के स्तर को पार किया। रुपया आज 83.01 के रिकॉर्ड स्तर तक नीचे लुढ़का। हालांकि बाद में इसमें मामूली सुधार हुआ, जिसके कारण भारतीय मुद्रा बुधवार के क्लोजिंग लेवल से 63 पैसे यानी 0.76 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 82.99 रुपये प्रति डॉलर (अस्थाई) के स्तर पर बंद हुई।

भारतीय मुद्रा ने इंटर बैंक फॉरेन सिक्योरिटी एक्सचेंज में बुधवार की क्लोजिंग के मुकाबले 3 पैसे की मजबूती के साथ 82.33 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से कारोबार की शुरुआत की। मुद्रा बाजार का काम शुरू होने के बाद से ही डॉलर की मांग लगातार बढ़ती गई। मांग में हो रही इस बढ़ोतरी के कारण रुपये की कीमत में गिरावट आती चली गई, जिसकी वजह से भारतीय मुद्रा 83.01 रुपया प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गई। हालांकि बाद में डॉलर की मांग में कुछ कमी आने के कारण रुपये की स्थिति में मामूली सुधार हुआ, जिससे भारतीय मुद्रा निचले स्तर से दो पैसे की रिकवरी करके 82.99 रुपये के स्तर पर बंद होने में सफल रही।


आपको बता दें कि डॉलर इंडेक्स में 0.3 प्रतिशत की अतिरिक्त मजबूती आई है। डॉलर इंडेक्स की इस मजबूती के कारण रुपये के साथ ही दुनिया की सभी प्रमुख मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले कमजोरी का रुख बना है। डॉलर इंडेक्स की मजबूती के कारण आज ब्रिटिश पाउंड की कीमत में भी गिरावट का रुख बना रहा। ब्रिटेन की ये मुद्रा आज 0.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1.1247 पाउंड प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गई। इसी तरह जापान की मुद्रा भी गिरावट के 32 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए डॉलर के मुकाबले 149.6 येन के स्तर पर पहुंच गई।

जानकारों का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर बनी अनिश्चितता ने बाजार पर निगेटिव सेंटिमेंट्स का दबाव बना रखा है। दूसरी ओर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से भी ये साफ कर दिया गया है कि जब तक अमेरिका में महंगाई पर काबू नहीं पा लिया जाता, तब तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी रहेगा। माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व मौजूदा वित्त वर्ष में ही ब्याज दरों में 0.60 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकता है।

फेडरल रिजर्व के बयान और मार्केट एक्सपर्ट्स की आशंकाओं के बाद से ही निवेशकों पर अपना पैसा सुरक्षित करने के लिए दबाव बन गया है। ऐसे में ज्यादा निवेशक दुनियाभर के बाजारों में बिकवाली करके डॉलर के रूप में अपना पैसा निकालने में लगे हुए हैं। इस वजह से इन दिनों पूरी दुनिया में डॉलर की मांग में काफी तेज बढ़ोतरी हुई है और उसकी कीमत भी तेज हुई है। जानकारों का कहना है कि इससे साफ है कि रुपये की कीमत में डॉलर के मुकाबले आई गिरावट की वजह भारतीय अर्थव्यवस्था की कमजोरी नहीं, बल्कि अमेरिका अर्थव्यवस्था में आई कमजोरी के हुई डॉलर इंडेक्स की मजबूती है। ये बात इसलिए भी ज्यादा स्पष्ट है, क्योंकि डॉलर के अलावा दुनिया की ज्यादातर प्रमुख मुद्राओं की तुलना में रुपये में मजबूती आई है। इसके बावजूद चूंकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ज्यादातर खरीद बिक्री डॉलर के जरिए ही की जाती है, इसलिए डॉलर इंडेक्स में आई तेजी ने भारत समय दुनिया भर की तमाम मुद्राओं पर दबाव की स्थिति का निर्माण कर दिया है। (एजेंसी, हि.स.)

Share:

Next Post

नेस्ले इंडिया को तीसरी तिमाही में 668 करोड़ रुपये का मुनाफा

Thu Oct 20 , 2022
नई दिल्ली। दैनिक उपभोग का सामान बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया लिमिटेड (Nestle India Limited) ने तीसरी तिमाही के नतीजे (third quarter results) का ऐलान कर दिया है। कंपनी का मुनाफा (profit) चालू वर्ष की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 8.25 फीसदी बढ़कर 668.34 करोड़ रुपये (8.25 percent increase to Rs 668.34 crore) पर पहुंच गया। […]