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रूस ने बनाया दुनिया की तबाही का बंकर


नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु ताकत रूस ने तीसरे विश्‍व युद्ध की अपनी तैयारी को तेज कर दिया है। रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने देश के 6375 परमाणु बमों को नियंत्रित करने के लिए एक अत्‍याधुनिक सुरक्षा उपायों से लैस न्‍यूक्लियर कमांड पोस्‍ट का निर्माण कराया है। पहाड़ों के बीच बना यह रूसी न्‍यूक्लियर कमांड पोस्‍ट तीसरे युद्ध के दौरान परमाणु बम के हमले को भी झेल जाएगा और काम करता रहेगा। पुतिन ने बताया कि यह न्‍यूक्लियर कमांड पोस्‍ट लगभग बनकर तैयार हो गया है। उन्‍होंने कहा कि इस कमांड सेंटर के जरिए परमाणु हमले की सूरत में भी रूस अपने न्‍यूक्लियर बम को नियंत्रित कर सकेगा।
रूसी राष्‍ट्रपति ने अपने रक्षा प्रमुखों से कहा कि वे अपने नियंत्रण प्रणाली को लगातार अपग्रेड करते रहें, फिर चाहे वे आज कितना भी अपग्रेड क्‍यों न हों। रूस दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु ताक‍त है। रूस के पास 6375 परमाणु बम हैं जबकि अमेरिका के पास 5800 परमाणु बम ही हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ हथियारों की नई दौड़ शुरू होने की आशंका के बीच पुतिन ने नए सुरक्षा समीकरण का आह्वान किया है। पुतिन ने पिछले दिनों रक्षा प्रमुखों के साथ बैठक में कहा कि रूस की सैन्‍य सुरक्षा में न्‍य‍ूक्लियर ट्रायड हमेशा से ही सबसे महत्‍वपूर्ण और प्रमुख गारंटी बना रहेगा।
रूस अपने महाविनाशक परमाणु बमों की मदद से एक झटके में पूरी पृथ्‍वी को तबाह करने की क्षमता रखता है। रूस सतह से सतह, परमाणु पनडुब्‍बी से दागी जाने वाली मिसाइलों और बमवर्षक विमानों की मदद से परमाणु बम को गिराने की क्षमता रखता है। पश्चिमी देशों के साथ रूस के चल रहे तनाव के बीच हाल ही में आई रिपोर्ट में कहा गया है कि सोवियत संघ के पतन के बाद अब पहली बार रूस की सेना सबसे मजबूत हो गई है। सोवियत संघ के समय में तो एक बार रूस के परमाणु बमों की संख्‍या 40 हजार तक पहुंच गई थी। हालांकि अमेरिका के साथ संधि के बाद रूस ने अपने परमाणु हथियारों की संख्‍या को कम किया है।
अमेरिका के कोल्‍ड वॉर के समय के संधि से हटने के बाद अब रूस सतह से सतह तक मार करने में सक्षम कैलिबर मिसाइलें बनाने में जुट गया है। अब तक यह किलर मिसाइल केवल युद्धपोत और सबमरीन से ही दागी जा सकती थीं। इससे पहले आईएनएफ संधि की वजह से अमेरिका और रूस के बीच इस तरह की कम दूरी की और मध्‍यम दूरी की मिसाइलें बनाने पर रोक थी। यही नहीं पुतिन ने रूसी नौसेना को पानी के अंदर चलने वाले ड्रोन विमान या तारपीडो को बनाने की अनुमति दे दी है। इस तारपीडो के अंदर परमाणु ह‍मला करने की भी क्षमता है। इसे सबमरीन के जरिए दागा जा सकता है।
पुतिन ने दावा किया है कि अमेरिका रूस को अपना मुख्‍य सैन्‍य शत्रु मानता है और उसकी परंपरागत हमले के जवाब में परमाणु हमला करने की योजना है। उन्‍होंने यह भी कहा कि हथियारों पर नियंत्रण की प्रणाली कमजोर हो रही है। अमेरिका के इसी खबरे से निपटने के लिए रूस ने जमीन के अंदर इस बंकर का निर्माण कराया है। उन्‍होंने कहा कि सभी उपकरण और संचार प्रणाली उसी तरह से आसान और विश्‍वसनीय होना चाहिए जैसे एके-47 राइफल है। पुतिन का मानना है कि देश पर परमाणु हमला होने पर इस बंकर की मदद से जवाबी परमाणु हमला किया जा सकेगा। रूस के पास पहले से ही दो न्‍यूक्लियर कमांड सेंटर मौजूद हैं। इनमें से एक उत्‍तरी यूराल की पहाड़‍ियों में और दूसरा दक्षिणी यूराल की पहाड़‍ियों में यमनताऊ में है।
रूस के पहाड़ के नीचे बने इन बंकरों को तबाह करने के लिए अमेरिका B61-11 न्‍यूक्लियर बंकर बस्‍टर बम बना रहा है। ये परमाणु अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएंगे। यही नहीं रूस की तरह से ही अमेरिका ने अमेरिकी वायुसेना के चेयेन्‍न माउंटेन कॉप्‍लेक्‍स में एक बंकर बनाया हुआ है। रूस का यह परमाणु कमांड बंकर अमेरिका के सबसे निशाने पर सबसे ऊपर है। रूस के बंकर इस तरह से बनाए गए हैं कि परमाणु हमला होने की सूरत में भी उनका संपर्क बना रहे। माना जाता है कि उत्‍तरी यूराल की पहाड़ी में बना बंकर ग्रेनाइट की 1000 फुट मोटी चट्टान के नीचे बनाया गया है। रूस का दूसरा परमाणु बंकर माउंट यमनताऊ में है जो 3000 फुट मोटी चट्टान के नीचे बनाया गया है। यह काफी विशाल है।

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