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प्रधानमंत्री से अधिक वेतन, शक्तियां भी अपार.. जानें राज्यों में कितना जरूरी है राज्यपाल?

नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र सरकार (Central government) ने रविवार को बड़ा फेरबदल कर दिया. एक साथ 12 राज्यों के राज्यपाल (12 state governors) और एक केंद्र शासित प्रदेश के राज्यपालों को बदल दिया।

प्रेसिडेंट ऑफिस (President’s Office) की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) और लद्दाख के उप-राज्यपाल आरके माथुर (RK Mathur) का इस्तीफा मंजूर कर लिया है. झारखंड के राज्यपाल रहे रमेश बैस को महाराष्ट्र का नया राज्यपाल बनाया गया है. वहीं, अरुणाचल के राज्यपाल रहे ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा (रिटायर्ड) को अब लद्दाख का एलजी नियुक्त किया गया है।

राष्ट्रपति ने सात राज्यों के राज्यपालों को दूसरे राज्य में नियुक्त किया है, जबकि पांच राज्यों में नए लोगों को राज्यपाल बनाया गया है।


ऐसे में जानना जरूरी है कि राज्यपाल का पद कितना जरूरी है? राज्यपाल के पास क्या-क्या शक्तियां होती हैं? राज्यपाल को हर महीने कितनी सैलरी मिलती है? लेकिन उससे पहले ये जानते हैं कि फेरबदल से 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में क्या बदला?

कौन कहां के राज्यपाल बनाए गए?
– विश्व भूषण हरिचंदन पहले आंध्र प्रदेश के राज्यपाल थे, अब छत्तीसगढ़ के होंगे।
– अनुसुया उइके पहले छत्तीसगढ़ की राज्यपाल थीं, अब मणिपुर की गवर्नर होंगी।
– ला. गणेशन पहले मणिपुर के राज्यपाल थे, अब उन्हें नागालैंड भेजा गया है।
– फागू चौहान को मेघालय का राज्यपाल बनाया गया है, पहले वो बिहार के गवर्नर थे.
– राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर पहले हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे, अब बिहार के होंगे.
– रमेश बैस पहले झारखंड के राज्यपाल थे, अब महाराष्ट्र के होंगे.
– ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा (रिटायर्ड) पहले अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल थे, अब लद्दाख के उप-राज्यपाल होंगे.
– जस्टिस (रिटायर्ड) एस. अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है.
– लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) केवल्य त्रिविक्रम परनाइक अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल होंगे.
– लक्ष्मण प्रसाद आचार्य सिक्किम के राज्यपाल नियुक्त किए गए हैं.
– सीपी राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया है.
– शिव प्रताप शुक्ला हिमाचल प्रदेश के नए राज्यपाल होंगे.
– गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है।

राज्यपाल क्यों जरूरी?
– संविधान के आर्टिकल 153 के तहत, हर राज्य का एक राज्यपाल होगा. लेकिन एक ही व्यक्ति दो या उससे ज्यादा राज्यों का राज्यपाल नहीं बन सकता. हालांकि, कुछ परिस्थितियों में अतिरिक्त प्रभार जरूर सौंपा जा सकता है।
– राज्यपाल एक संवैधानिक पद होता है और उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं. राज्यपाल का कार्यकाल पांच साल के लिए होता है, लेकिन जब तक नया राज्यपाल नियुक्त नहीं हो जाता, तब तक पद पर बने रहते हैं।
– राज्यपाल वही बन सकता है जो भारत का नागरिक होगा और जिसने 35 साल की उम्र पार कर ली होगी. इसके अलावा वो किसी सदन, विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य नहीं होना चाहिए. अगर किसी सांसद या विधायक को राज्यपाल बनाया जाता है तो उसे सांसदी या विधायकी से इस्तीफा देना होता है।
– राष्ट्रपति सभी राज्यों में राज्यपाल नियुक्त करते हैं, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में एडमिनिस्ट्रेटर (प्रशासक) या उप-राज्यपाल की नियुक्ति की जाती है।

राज्यपाल के पास क्या-क्या शक्तियां होतीं हैं?
– राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करते हैं. मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद का गठन करते हैं. और मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही काम करते हैं।

– राज्यपाल राज्य की सभी यूनिवर्सिटीज के चांसलर होते हैं. राज्य के एडवोकेट जनरल, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भी राज्यपाल करते हैं।

– राज्यपाल की अनुमति के बिना फाइनेंस बिल को विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता. कोई भी बिल राज्यपाल की अनुमति के बगैर कानून नहीं बनता. राज्यपाल चाहें तो उस बिल को रोक सकते हैं या लौटा सकते हैं या फिर राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं।

– लेकिन राज्यपाल की ओर से अगर बिल को वापस लौटा दिया जाता है और वही बिल बिना किसी संशोधन के विधानसभा से पास हो जाता है तो फिर राज्यपाल उस बिल को रोक नहीं सकते, उन्हें मंजूरी देनी ही पड़ती है।

कितनी मिलती है सैलरी?
– सभी राज्यों के राज्यपाल को हर महीने 3 लाख 50 हजार रुपये की सैलरी मिलती है. जबकि, प्रधानमंत्री को हर महीने 1 लाख रुपये सैलरी मिलती है. जबकि, राष्ट्रपति को 5 लाख रुपये और उपराष्ट्रपति को 4 लाख रुपये सैलरी मिलती है।

– सैलरी के अलावा राज्यपालों को कई तरह के भत्ते भी मिलते हैं, जो हर राज्य में अलग-अलग होते हैं. उन्हें लीव अलाउंस भी मिलता है. अगर राज्यपाल छुट्टी पर रहते हैं तो उन्हें इसके लिए भत्ता मिलता है।

– सरकारी आवास की देखभाल और रखरखाव के लिए भी भत्ता दिया जाता है. साथ ही केंद्र और राज्य सरकार के अस्पतालों में फ्री मेडिकल केयर भी दी जाती है.

– इतना ही नहीं, अगर राज्यपाल को किसी काम के लिए गाड़ियों की जरूरत पड़ती है तो वो मुफ्त में किराये पर ले सकते हैं. उनके और उनके परिवार को वेकेशन के लिए ट्रैवलिंग अलाउंस भी मिलता है. इन सबके अलावा और भी कई तरह के भत्ते उन्हें मिलते हैं.

गिरफ्तारी या हिरासत में भी नहीं लिया जा सकता?
– कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 के तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, मुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट मिली है. ये छूट सिर्फ सिविल मामलों में है. क्रिमिनल मामलों में नहीं.

– इस धारा के तहत संसद या विधानसभा या विधान परिषद के किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में लेना है तो सदन के अध्यक्ष या सभापति से मंजूरी लेना जरूरी है. धारा ये भी कहती है कि सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बाद तक ना तो किसी सदस्य को गिरफ्तार किया जा सकता है और ना ही हिरासत में लिया जा सकता है.

– इतना ही नहीं, संसद परिसर या विधानसभा परिसर या विधान परिषद के परिसर के अंदर से भी किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं ले सकते, क्योंकि अध्यक्ष या सभापति का आदेश चलता है. चूंकि प्रधानमंत्री संसद के और मुख्यमंत्री विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य होते हैं, इसलिए उन पर भी यही नियम लागू होता है.

– जबकि, संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल को छूट दी गई है. इसके तहत, राष्ट्रपति या किसी राज्यपाल को पद पर रहते हुए गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जा सकता है. कोई अदालत उनके खिलाफ कोई आदेश भी जारी नहीं कर सकती. राष्ट्रपति और राज्यपाल को सिविल और क्रिमिनल, दोनों ही मामलों में छूट मिली है. हालांकि, पद से हटने के बाद उन्हें गिरफ्तार या हिरासत में लिया जा सकता है।

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