ब्‍लॉगर

संदेशखाली: ममता की नफरत का प्रतीक

– प्रवीण गुगनानी

बांग्ला की दो लोकोक्तियाँ हैं- थेलाई ना पोरले बेरल गाछे ओथे ना -अर्थात् आपकी समस्याओं से पार पाने हेतु आपको उस समस्या का सामना करना ही होगा। दूसरी बांग्ला कहावत है- किछुतेई किछु न फ़ेसतेई पोइसा- कुछ प्राप्त करने हेतु आलस्य छोड़कर कर्म करना ही होगा।आज की परिस्थिति में बंगाल में ममता व उनकी तृणमूल एक समस्या है और सोनार बांग्ला के बंधुओं को कुछ कर्म करके इन्हें सत्ता से बाहर का मार्ग दिखाना ही होगा।

संदेशख़ाली, पश्चिम बंगाल में हाल ही के महिला यौन उत्पीड़न को लेकर जो समाचार आ रहे हैं उन सबके अतिरिक्त सच और भी है। सच यह है कि संदेशखाली के आसपास की चौदह में से आठ विस क्षेत्र अनुसूचित व जनजातीय वर्ग हेतु आरक्षित हैं। सच यह यह भी है कि इन चौदह संवेदनशील विधानसभाओं की सीमा बांग्लादेश से सटी हुई है। सच यह भी है कि यह मानव तस्करी अर्थात् ह्यूमन ट्रेफिकिंग के धंधे का गढ़ बना हुआ है। सच यह भी है कि तृणमूल ने भारत भर में रोहिंग्याओं, आतंकियों, घुसपैठियों, तस्करों को प्रवेश देने हेतु इस क्षेत्र को सुरक्षित द्वार बनाया हुआ है। संदेशखाली की इस घटना की पृष्ठभूमि में यह संदेश भी है कि प. बंगाल किस प्रकार मानव तस्करी व हिंदू कन्याओं के अपहरण व उन्हें सीमापार पहुँचा देने का गढ़ बना हुआ है। हिंदू कन्याओं को पहले यौन उत्पीड़न के जाल में फंसाना और फिर वीडियो आदि के माध्यम से उन्हें ब्लैकमेल कर सीमा पार बेच देने में तृणमूल कार्यकर्ता लगे हुए हैं। हाल ही की घटना में ममता बनर्जी के प्रिय शेख़ शाहजहां की प्रत्यक्ष संलिप्तता इसका ज्वलंत व प्रामाणिक उदाहरण है।


मुस्लिम तुष्टिकरण में कांग्रेस से होड़ लगाती हुई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी ममता को शेख़ शाहजहां की जेब में रेहन रख छोड़ा है। एक महिला मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी से महिला तस्करी, उत्पीड़न, बलात्कार संबंधित मामलों में जो सक्रियता दिखनी चाहिये थी उसका सहस्त्रांश भी उनकी कार्यशैली में देखने को नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि पश्चिम बंगाल में आज महिलाएं सर्वाधिक असुरक्षित आभास कर रही हैं। एक सर्वे में यही बात देखने में आई है। 19 राज्यों के 18,267 परिवारों के मध्य कराये गये एक सर्वे में निष्कर्ष आया कि पश्चिम बंगाल के 72.9 फीसदी लोग बंगाल में असुरक्षित आभास करते हैं। सर्वे में लोगों ने कहा कि रात्रि में तो बंगाल घोर असुरक्षित हो जाता है।

इस भयंकर व बर्बर सांख्यिकी को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा दी गई सांख्यिकी पुष्ट-संपुष्ट करती है। महिलाओं के लापता होने की दृष्टि से भी पश्चिम बंगाल अव्वल बना हुआ है। दुखद तथ्य है कि, पश्चिम बंगाल से वर्ष 2016-17-18 में क्रमशः पच्चीस हज़ार, अट्ठाईस हजार व इकत्तीस हजार महिलाएं लापता हुई हैं। ये सांख्यिकी चीख-चीख कर हमारे सभ्य समाज से कुछ कह रही है! एक महिला मुख्यमंत्री का राज्य महिलाओं के विरुद्ध अनाचरण अपराध मामले में अव्वल बना हुआ है। एनसीआरबी के अनुसार, प.बंगाल में वर्ष 2020 में महिलाओं के विरुद्ध छत्तीस हजार मामले दर्ज हुए थे। डर, भय, दबाव, के कारण हजारों मामले समाज व पुलिस में दर्ज नहीं हो पाये उनकी गिनती भी भयंकर जान पड़ती है। गौ तस्करी, हिंदू कन्या तस्करी, लूटपाट, हत्या, फिरौती, अड़ीबाज़ी के इन अपराधों में लगभग सभी मुस्लिम अपराधी ही संलिप्त रहते हैं।

पश्चिम बंगाल में अपराध व अपराधी दोनों सिर चढ़कर बोलते दिखाई पड़ते हैं। तुर्रा यह रहा कि संदेशख़ाली मामले के मुख्य आरोपी, ममता बनर्जी के खासमखास समर्थक शेख शाहजहां ने मामले की जांच करने हेतु बंगाल पहुंची ईडी की टीम पर ही प्राणघातक हमला करवा दिया। ममता के खास शेख शाहजहां का ईडी पर हमला इतना प्रहारक था कि कड़ी सुरक्षा के मध्य गई हुई ईडी की टीम को चोटिल व लहुलुहान होकर वापस लौटना पड़ा। सदा की तरह टीम ममता ईडी के जांच दल को घायल करके बिना जांच के वापस भेजने में सफल रही है। जनता नाराज है, अपराधी स्वतंत्र और सीनाजोर हैं और ममता सरकार लजाने-शर्माने के स्थान पर मुस्लिम तुष्टिकरण व अपराध संरक्षण पर तुली हुई है।

संदेशखाली की पीड़ित महिलाएं जो कह रही है वह हमारे शासन तंत्र को शर्मिंदा कर देने हेतु पर्याप्त हैं। इस क्षेत्र की महिलाएं बताती हैं कि तृणमूल कांग्रेस के लोग गांव में घर-घर जाकर सर्वे करते हैं और सुंदर महिलाओं को उठाकर पार्टी ऑफिस ले आते हैं और फिर महीनों रखकर इनका शोषण करते हैं। आश्चर्यजनक रूप से पश्चिम बंगाल पुलिस की ओर से यह लज्जाजनक वक्तव्य आता है कि उन्हें संदेशखाली क्षेत्र में महिला बलात्कार, यौन उत्पीड़न आदि की कोई भी शिकायत नहीं मिली है। शासकीय तंत्र के आतंक का यह भीषण जलजला देखिए।

जांच में तथ्य सामने आ रहे हैं कि तृणमूल कार्यकर्ता व शेख़ शाहजहां के गुंडे नौकरी देने के नाम पर, भयभीत करके, आर्थिक लालच देकर यहां की लड़कियों को ले जाते हैं। महिलाओं को पार्टी में ऊंचा पद देने आदि के लोभ देकर भी उन्हें फुसला ले जाते हैं और फिर उनके शोषण, ब्लैकमेल आदि का अनवरत क्रम प्रारंभ हो जाता है। पश्चिम बंगाल की महिला मुख्यमंत्री वाली सरकार की संवेदनशीलता व निर्लज्जता की स्थिति यह है कि बशीर हाट के एसपी मेहंदी हुसैन जैसे अधिकारियों को आगे करके समूचे मामले को शासकीय व पुलिसिया आतंक से समाप्त कराने का प्रयास किया जाता है।

सबसे दुर्भाग्यजनक व लज्जाजनक बात यह है कि नारी मुख्यमंत्री वाले इस राज्य में इन मुस्लिम पीड़ित महिलाओं की शिकायत थाने में लिखी ही नहीं जा रही है, उन्हें चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है। हां, अपराधियों पर कार्यवाही करने के स्थान पर आरएसएस के स्वयंसेवकों व भाजपा कार्यकर्ताओं पर सतत-निरंतर मुकदमे लादे जा रहे हैं। बंगाल के चौबीस परगना, दक्षिण चौबीस परगना, उत्तरी दिनाजपुर, दक्षिणी दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, मालदा, नादिया, हुगली आदि मुस्लिम बहुल क्षेत्र तो जैसे मुस्लिम आतंक के गढ़ बन गये हैं। यहां हिंदू धर्मावलम्बियों का साँस लेना दूभर हो चुका है।

सबसे बड़ी बात यह है कि चोरी ऊपर से सीना जोड़ी करते हुए ममता के गुंडे कार्यकर्ता टीवी चैनलों पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने पर देख लेने की खुली चुनौती दे रहे हैं। यह चुनौती भद्दी, अमर्यादित व असंसदीय भाषा में दी जा रही है। गुरुदेब रबींद्रनाथ टैगोर के सोनार बांग्ला से ऐसे आसुरी सुर निकलना किसी बड़े खतरे की आशंकाएं उपजाता है।

(लेखक, विदेश मंत्रालय में सलाहकार (राजभाषा) हैं।)

Share:

Next Post

4जी खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्सः मप्र के खिलाड़ियों ने दो स्वर्ण समेत जीते सात पदक

Mon Feb 26 , 2024
– मध्यप्रदेश की पुरूष हॉकी टीम ने जीता स्वर्ण पदक – महिला हॉकी टीम पेनल्टी शूट ऑउट में हारकर बनी उप विजेता भोपाल (Bhopal)। असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, नागालेण्ड एवं त्रिपुरा में 17 फरवरी से 29 फरवरी 2024 तक आयोजित 4जी खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 (4G Khelo India University Games 2023) में […]