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सऊदी अरब ने अमेरिका को चेताया, कहा- तेल के आपातकालीन भंडार खाली करना, खड़ी करेगा मुश्किल

नई दिल्‍ली । तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक प्लस (opec plus) द्वारा तेल उत्पादन (oil production) में कटौती की घोषणा के बाद से ही सऊदी अरब (Saudi Arab) और अमेरिका (America) के बीच अनबन जारी है. दरअसल, अमेरिका चाहता था कि सऊदी अरब और बाकी तेल उत्पादक देश तेल उत्पादन में बढ़ोतरी करें ताकि तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ना हो. जब अमेरिका की बात ओपेक देशों ने नहीं सुनी तो उसने अपने रणनीतिक भंडार से बड़ी मात्रा में तेल निकालकर बाजार में पहुंचाने का ऐलान कर दिया. अब सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री ने अमेरिका के इस कदम को लेकर चेतावनी दी है.

सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री अब्दुलअजीज बिन सलमान ने मंगलवार को रियाद में आयोजित फ्यूचर इनिशिएटिव इन्वेस्टमेंट सम्मेलन में अमेरिका को आगाह करते हुए कहा कि तेल के आपातकालीन भंडार खाली करना आने वाले महीनों में बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी करेगा.

सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री अब्दुलअजीज बिन सलमान ने कहा कि सऊदी अरब अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. उन्होंने बताया कि सऊदी अरब ने यूरोप को पिछले साल 4,90,000 बैरल की तुलना में इस साल सितंबर में 9,50,000 बैरल तेल बेचा है.


अमेरिका से सऊदी अरब के रिश्ते को लेकर सवाल पर मंत्री ने कहा कि सऊदी अमेरिका के साथ साझेदारी में ज्यादा परिपक्व भूमिका में है. उन्होंने कहा, “हम अक्सर ये सवाल सुनते रहते हैं कि आप हमारे साथ हैं या खिलाफ. क्या इस बात की गुंजाइश नहीं बची कि हम सबसे पहले अपने देश के लोगों के साथ खड़े हों?”

अमेरिका का आरोप बेबुनियादः ऊर्जा मंत्री
ऊर्जा मंत्री अब्दुलअजीज बिन सलमान ने अमेरिका के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि तेल उत्पादन में कटौती पूरी तरह से आर्थिक निर्णय था, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमत को स्थिर करना है.

ओपेक और अमेरिका का विवाद
बीते 5 अक्टूबर को ओपेक प्लस देशों ने 20 लाख बैरल प्रति दिन तेल उत्पादन में कटौती का ऐलान किया था. ओपेक प्लस कुल 24 देशों का समूह है. खास बात यह है कि इस समूह का रूस भी एक सदस्य है. तेल का उत्पादन कम होने से तेल की कीमतें बढ़ेंगी और इससे रूस को भी फायदा होगा. अमेरिका ने ये भी आरोप लगाया है कि सऊदी अरब ने यह निर्णय रूस को फायदा पहुंचाने के लिए लिया है.

ओपेक प्लस संगठन में सऊदी अरब का दबदबा माना जाता है. इस निर्णय के बाद अमेरिका ने संगठन के मुख्य देश सऊदी अरब पर तीखा प्रहार करते हुए कहा था कि सऊदी अरब को इस फैसले के नतीजे भुगतने होंगे.

तेल की कीमत काबू में रखना मकसद
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले सप्ताह ही देश के आपातकालीन तेल भंडार से 15 मिलियन बैरल तेल बेचने की योजना की घोषणा की थी. इसका उद्देश्य यह है कि 8 नवंबर को होने वाले मध्यावधि चुनाव से पहले तेल की कीमत पर काबू पाया जा सके.

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