इंदौर। इंदौर की बिगड़ी ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए कलेक्टर एड़ी-चोटी का जोर लगाकर चाकचौबंद व्यवस्था करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन शहर के राजनीतिक प्रतिनिधि और रसूखदार ही इस पर बट्टा लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रशासन द्वारा मंगलवार को की गई बसों की धरपकड़ की कार्रवाई पर रसूखदारों के जोर और मनमानी के चलते विराम लग गया। एक दिन ही कार्रवाई कर 30 वर्षों को पकड़ा गया था, लेकिन शाम होते-होते तक छोड़ दिया गया। आज सुबह सरवटे बस स्टैंड सहित शहर की सडक़ों पर बसों की मनमानी फिर देखी जा सकती है।
एसडीएम अजय भूषण शुक्ला के नेतृत्व में गठित किए गए दल में तीन एसीपी, एक एसडीएम, चार तहसीलदार और पांच नायब तहसीलदार, आठ राजस्व निरीक्षक, आरटीओ प्रदीप शर्मा और उनकी टीम तथा होमगार्ड जवान लगाए गए थे। लेकिन उनके द्वारा की गई कार्रवाई का असर शहर में कहीं भी नजर नहीं आ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विधायकों और जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप के चलते मंगलवार को जब्त की गई सभी बसों को शाम होते-होते तक छोड़ दिया गया ।
कलेक्टर द्वारा किए गए 15 दिन की जब्ती के दावों को इन रसूखदारों के एक फोन ने गलत साबित कर दिया। शुरू की गई मुहिम किसी अंजाम पर पहुंचे बिना ही खत्म कर दी गई। रोड पर बेतरतीब तरीके से खड़ी होने वाली लगभग 30 बसें जब्त की गई थीं। कलेक्टर इस कार्रवाई के माध्यम से बस ऑपरेटर में एक सख्त संदेश पहुंचाना चाह रहे थे, जो कि धरा का धरा रह गया। आज सुबह सरवटे बस स्टैंड पर दो दर्जन से ज्यादा बसें बेतरतीब खड़ी हुई पाई गईं, वहीं कई बसों को बीच रोड पर खड़ा कर सामान लोडिंग और सवारी बैठाना धड़ल्ले से चलता रहा। रिंग रोड सहित शहर के मध्य क्षेत्र में स्थित बस स्टैंड और आसपास क्षेत्र से संचालित हो रहे निजी बस ऑपरेटर की मनमानी के चलते शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा रही है। आम जनता ट्रैफिक जाम की स्थिति से परेशान और हलाकान हो रही है, लेकिन इसका असर बस ऑपरेटर और उनके मालिकों पर नहीं पड़ रहा है। लाख समझाइश और सैकड़ों नोटिस के बावजूद शहर के बीचोबीच से बसें संचालित की जा रही हैं।
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