भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

अनशन पर बैठे ओबीसी के चयनित शिक्षकों ने कराया सामूहिक मुंडन

  • महिलाओं ने जूता पालिश कर विरोध जताया

भोपाल। प्रदेश में चिलचिलाती धूप में अन्य पिछड़ा वर्ग के चयनित शिक्षक अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर राजधानी भोपाल में लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) के बाहर करीब एक माह से धरना पर बैठे हुए हैं। लेकिन ओबीसी हितैषी होने का दावा करने वाली सरकार चयनित शिक्षकों की सुध लेने को तैयार नहीं है। सरकार का एक भी ओबीसी हितैषी पदाधिकारी उनके पास नहीं पहुंचा है। मांग नहीं मानने से नाराज चयनित शिक्षक आमरण अनशन करने लगे है। उन्होंने सरकार की ओबीसी विरोधी नीति के विरोध में सामूहिक मंडन भी कराया है।


भीषण गर्मी में जारी आमरण अनशन की वजह से शिक्षकों की तबियत भी खराब हो रही है। अब तक पांच लोगों की तबियत खराब हो चुकी है, जिन्हें ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा है। शनिवार को चयनित शिक्षकों में पुरुषों ने सामूहिक रूप से मुंडन कराकर विरोध किया। वहीं महिलाओं ने जूते पालिश कर प्रदर्शन किया। इसमें से टीकमगढ़ के ब्रजभूषण यादव, बुधनी के धरम पवार, रीवा के आनंद भारती व गुना के मिथुन धाकड़ सहित अन्य ने मुंडन कराया। चयनित शिक्षकों का कहना है कि शासन की ओर से कोई भी सुध नहीं ली जा रही है। जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाएगी। उनका आंदोलन जारी रहेगा। अभ्यर्थी शशि यादव ने कहा कि एक माह से आंदोलन जारी है, लेकिन मुख्यमंत्री ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। ग्वालियर की अंजुम परवीन ने कहा कि सभी वर्ग के लोगों को नियुक्ति मिल गई है। हमें भी जल्द से जल्द नियुक्ति दी जाए। अभ्यर्थियों का कहना है कि मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 में 17 हजार पद और जनजातीय कार्य विभाग में दो हजार पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ था जिसकी परीक्षा फरवरी 2019 में आयोजित की गई थी। इसमें 15000 पदों पर 27 फीसद आरक्षण के साथ ओबीसी के पदों पर भर्ती की गई थी। चयन प्रक्रिया 10 जनवरी 2020 से जुलाई 2021 तक चली। चयन सूची और प्रतीक्षा सूची में नाम आने के बाद दस्तावेजों का सत्यापन किया गया था। चयन होने के बाद भी ओबीसी उम्मीदवारों कि अब तक पदस्थापना सूची जारी नहीं की गई है। उनका कहना है कि वर्तमान में 6500 से ज्यादा पद खाली होने के बाद भी ओबीसी उम्मीदवारों की चयन सूची पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और ना ही पदस्थापना सूची जारी की जा रही है। इसे लेकर दो हजार से ज्यादा ओबीसी उम्मीदवार पदस्थापना को लेकर चिंतित हैं। 21 मार्च से डीपीआइ के सामने धरना- प्रदर्शन करने के बाद भी सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है, इसलिए 25 अप्रैल से चयनित शिक्षक अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठने के लिए मजबूर हो गए हैं।

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