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डगलस स्टुअर्ट के ‘शग्गी बैन’ को बुकर अवॉर्ड, भारतीय मूल की अवनि समेत छह लेखक दौड़ से बाहर

न्यूयॉर्क में बसे स्कॉटलैंड के लेखक डगलस स्टुअर्ट ने उनके पहले उपन्यास ‘शग्गी बैन’ के लिए 2020 का बुकर पुरस्कार जीत लिया है। ‘शग्गी बैन’ की कहानी में 1980 के ग्लासगो की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जो एक डेब्यू उपन्यास है। दुबई में बसी भारतीय मूल की लेखिका अवनि दोषी का पहला उपन्यास ‘बर्न्ट शुगर’ भी इस श्रेणी में नामित था लेकिन अंतिम समय में वे दौड़ में पिछड़ गईं। इस साल के बुकर पुरस्कार के लिए 44 वर्षीय लेखक डगलस स्टुअर्ट समेत कुल छह लोगों के उपन्यास नामित थे। पुरस्कार के रूप में उन्हें 50,000 पाउंड (करीब 50 लाख रुपये) की राशि मिलेगी। स्टुअर्ट ने कहा, मुझे भरोसा नहीं हो रहा, शग्गी एक काल्पनिक किताब है, लेकिन इसे लिखना मेरे लिए बेहद सेहत बख्स रहा।

उन्होंने कहा कि किताब उन्होंने अपनी मां का समर्पित की है। दरअसल, स्टुअर्ट जब 16 साल के थे तब उनकी मां का निधन अत्यधिक शराब पीने की वजह से हो गया था। इसके बाद वह लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट से स्नातक करने के बाद, फैशन डिजाइन में कैरियर बनाने के लिए न्यूयॉर्क चले गए। कोरोना वायरस के मद्देनजर ‘बुकर प्राइज 2020’ का समारोह लंदन के ‘राउंडहाउस’ से प्रसारित किया गया। सभी छह नामित लेखक एक विशेष स्क्रीन के जरिए समारोह में शामिल हुए।  इस बार बुकर की दौड़ में कुल छह किताबें थीं। इस पुरस्कार का निर्णय करने वाली जूरी में ली चाइल्ड, समीर रहीम, एमिली विल्सन और लेन सिसे शामिल रहे जिसे मारग्रेट बस्बी ने चेयर किया। पुरस्कार के लिए कुल 162 एंट्री मिली थीं। बता दें कि बुकर पुरस्कार के लिए जिस रचना का चयन किया गया उस उपन्यास को लिखने के लिए स्टुअर्ट ने 10 साल से भी ज्यादा का वक्त लिया था।

शग्गी बेन छोटे लड़के की कहानी है जो कि 1980 के दशक में ग्लासगो, स्कॉटलैंड के सरकारी मकानों में कहीं रह रहा था। शग्गी और उसके भाई-बहनों को उसके पिता छोड़कर चले गए थे जिन्हें उनकी शराबी मां ने पाला। गार्जियन में उपन्यास का रिव्यू लिखने वाले एलेक्स प्रेस्टन के मुताबिक यह ग्लासगो के समाज से पर्दा उठाती है जहां लोग सभ्य होने का दिखावा करते आए हैं।  दुबई में रह रही भारतीय मूल की लेखिका अवनि दोशी की किताब ‘बर्न्ट शुगर’ भी बुकर पुरस्कार की दौड़ में शामिल थी। उन्होंने इसे कई हिस्सों में लिखा। अमेरिका में जन्मी अवनि की पुस्तक के साथ बुकर पुरस्कार की दौड़ में जिम्बावे के लेखक सिटसी दांगारेंबगा की ‘दिस मॉरनेबल बॉडी’, अमेरिकी लेखक डायना कुक की ‘द न्यू वाइल्डनेस’, माजा मैन्जिस्टे की ‘द शैडो किंग’, ब्रांडन टेलर की ‘रियल लाइफ’ और न्यूयॉर्क में रह रहे स्कॉटलैंड के लेखक डगलस स्टुअर्ट की ‘‘शग्गी बेन’’ शामिल थे।

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