ब्‍लॉगर

तो योगी यूपी के रास्ते ही भाजपा को 2024 में सत्ता सौपेंगे

– आर.के. सिन्हा

अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले साल के शुरुआती के तीन महीनों के दौरान देश में लोकसभा चुनाव की हलचल को महसूस किया जाने लगेगा। सभी दल अपने घोषणापत्र को अंतिम रूप दे रहे होंगे और प्रत्याशियों के नामों पर भी अंतिम विचार चल रहा होगा। फिजा में लोकसभा चुनाव का पूरा माहौल बन गया होगा। दरअसल, यह चुनाव आजाद भारत का एक ऐसा चुनाव होगा जब कांग्रेस छोड़ किसी दूसरी विचारधारा की सत्ता की पारी दशकीय सीमा लांघकर एक नई तारीखी लकीर खींचने की ओर आगे बढ़ेगी। इस चुनाव के लिहाज से राज्यों की राजनीति भी गरमा रही है। पर बात करें भाजपा की तो देश के सबसे बड़े सूबे में उसकी निश्चिंतता का आलम कुछ और ही है। वैसे भी दिल्ली के सियासी गलियारों में यह बात शुरू से कही और मानी जाती रही है कि देश की सत्ता का रास्ता राम और कृष्ण के जन्म स्थान उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरता है। इस सूबे की सियासी धाक यह है कि इसने देश को अबतक सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री दिए हैं। आज अगर गुजरात से निकलकर देश की राजनीति का ध्रुव बनकर नरेन्द्र मोदी उभरे हैं तो वे भी यहीं से दो-दो बार निर्वाचित हुए हैं।

देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद के निचले सदन यानी लोकसभा के लिए 80 सांसदों को चुनकर भेजने वाले इस सूबे की सियासी अहमियत निर्विवाद है। यहां पर भाजपा का प्रदर्शन लगातार सुधर ही रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी जीत को दोहराया ही नहीं है, वह लगातार विपक्ष की राजनीतिक जमीन को कमजोर भी कर रही है। कभी मंडल और कमंडल की राजनीति का गढ़ रहा यह प्रदेश मंदिर का घंटा और सख्त कानून व्यवस्था का डंडा एक साथ बजा रहा है। भगवा आस्था और विकास की नई प्रयोगशाला बनकर उभरा उत्तर प्रदेश आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष के लिए कड़ी चुनौती पेश करेगा। उत्तर प्रदेश में विपक्ष तो पहले से ही तार-तार हो चुका दिख रहा है।


बेशक, यह समझना दिलचस्प है कि हिंदी पट्टी में विपक्ष की राजनीति का केंद्र रहा उत्तर प्रदेश देश के सबसे चर्चित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में किस तरह भाजपा के अभेद्य किला के तौर पर लगातार मजबूत होता गया है। आपको याद होगा कि 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सूबे की 80 में से 64 सीटें अकेले दम पर जीत ली थीं। इसी तरह वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने अकेले दम पर कुल उत्तर प्रदेश विधानसभा की 403 सीटों में से 225 सीटें जीत कर उत्तर प्रदेश की सत्ता में धमाकेदार वापसी की। अपने सहयोगियों के साथ भाजपा की सीटों का आंकड़ा 272 तक पहुंच गया। इस जीत ने सूबे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता को एक प्रकार से प्रतिष्ठित कर दिया। राज्य की जनता ने उनके नेतृत्व पर मानों मोहर लगा दी। उसके बाद से राज्य में हुए लगभग तमाम उप चुनावों में भाजपा ने जीत ही दर्ज की है।

उत्तर प्रदेश में विपक्ष के बिखराव की तस्वीर साफ है। मतों के लिहाज से प्रदेश में अपनी प्रभावी उपस्थिति रखने वाले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच सुलह की संभावना आज के दिन दूर-दूर तक नहीं दिखती। लोकदल का असर कुछ जिलों में सीमित ही है। अन्य पिछड़ा वर्ग की राजनीति करने वाले बाकी दल भाजपा के खेमे में आनंद से समय गुजार हैं। इधर, कांग्रेस का जनाधार यूपी में लगभग समाप्त हो चुका है। ऐसे में भाजपा के सामने प्रदेश में विपक्ष की चुनौती बेहद कमजोर है।

आंकड़ों से परे जाकर, यदि यह मान भी लिया जाए कि हर चुनाव का अपना एक अलग गणित होता है, अपना एक अलग मिजाज होता है, तो भी यह चुनाव विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा। क्योंकि, प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी की लगातार बढ़ती लोकप्रियता के अलावा, उत्तर प्रदेश में सख्त योगी की शासन शैली और उनकी भ्रष्टाचार मुक्त कार्यशैली का मॉडल लोगों के दिलों में स्थायी जगह बना चुका है।

उत्तर प्रदेश में सड़कों के मजबूत जाल, एक्सप्रेस-वे की भरमार, जनकल्याण की योजनाएं, भ्रष्टाचार के खिलाफ नो टॉलरेंस की नीति और रोजगार सृजन के लिए योजनाबद्ध नीति आदि कुछ ऐसे शानदार कदम हैं, जिनके दम पर उत्तर प्रदेश आज उद्योग प्रदेश बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यूरोप और अमेरिका हों या खाड़ी देश, हर बड़ा निवेशक जो भारत में निवेश करने को इच्छुक है, उत्तर प्रदेश उसकी पहली पसंद बन गया है। इसका बड़ा कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में प्रदेश में निवेशकों को मिलने वाला सुरक्षित और भ्रष्टाचार मुक्त माहौल है।

प्रधानमंत्री मोदी गत 10 फरवरी को जब यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 का शुभारंभ करने लखनऊ पहुंचे थे, तो उन्होंने देश और दुनिया के सामने प्रदेश की बदली छवि को प्रस्तुत करते हुए कहा था कि आज उत्तर प्रदेश आशा और प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उन्होंने कहा था कि अब उत्तर प्रदेश की पहचान सुशासन, बेहतर कानून-व्यवस्था, शांति और स्थिरता से होती है, तो इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश भर में सामाजिक और आर्थिक रूप से हो रहा बदलाव है। इस इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से प्रदेश में रिकार्ड 31 लाख करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए। देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी आज भेदभाव, पक्षपात, जातिवाद और क्षेत्रवाद की सियासत से निकलकर सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास की नीति पर चलते हुए समग्र व संतुलित विकास की दिशा में अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।

योगी सरकार ने हाल ही में वर्ष 2023-24 के लिए करीब 690,242.43 करोड़ रुपये का बजट पेश कर प्रदेश को नई शक्ल और नई मजबूती देने का मार्ग प्रशस्त किया है। ऐसे में यह देखना होगा कि विभाजित विपक्ष आगामी लोकसभा चुनाव में योगी के इस अभेद्य किले में सेंध लगा पाने की हिम्मत भी जुटा पाता है या नहीं।

(लेखक, वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)

Share:

Next Post

वेलिंगटन टेस्ट: न्यूजीलैंड ने श्रीलंका को एक पारी और 58 रन से हराया, श्रृंखला 2-0 से जीती

Tue Mar 21 , 2023
वेलिंगटन (Wellington)। न्यूजीलैंड (New Zealand) ने यहां के बेसिन रिजर्व में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच (second test match) के चौथे दिन श्रीलंका (Sri Lanka) को एक पारी और 58 रन (innings and 58 runs) से हराकर दो मैचों की टेस्ट श्रृंखला 2-0 (two match test series 2-0) से अपने नाम कर ली। इस […]