मरीज के परिजनों द्वारा सीधे खरीदे रेमडेसिवीर में नकली होने की भी संभावना
इंदौर। असली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisvir Injection)की कालाबाजारी तक तो ठीक था, लेकिन इसी बीच पिछले दिनों सैकड़ों नकली इंजेक्शन भी बाजार में खपा दिए गए। कहीं ऐसा तो नहीं कि नकली इंजेक्शन से ही शहर में मौत का आंकड़ा बढ़ा हो?
जिस तरह से पुलिस रोज खुलासे कर रही है, उसमें चिंता की एक बड़ी बात सामने आई है और वह है नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisvir Injection) का होना। अप्रैल मध्य में जब शहर में कोरोना (Corona) के केस बढ़ते जा रहे थे तब अस्पतालों में इंजेक्शन (Injection) उपलब्ध नहीं हो रहे थे और न ही डीलर के यहां पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन (Injection) पहुंच रहे थे। इसी बीच नकली इंजेक्शन (Injection) बनाने वालों की चल निकली और पुलिस जांच में सामने आया कि नमक और ग्लूकोज से ये इंजेक्शन बनाए जा रहे थे। पीथमपुर, हिमाचलप्रदेश और सूरत से लिंक निकालकर पुलिस मानवता के दुश्मनों तक तो पहुंच गई, लेकिन बाजार में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का आना एक बड़ा सवाल खड़ा कर गया। आम लोग इंजेक्शन (Injection) पहचान नहीं पाते और हो सकता है कि उन्होंने इन्हें असली मान खरीदकर अपने मरीजों को पहुंचाए होंगे और अस्पताल में उन्हें लगा भी दिए गए होंगे। पुलिस सख्ती से पूछताछ करे तो पता चलेगा कि कितने इंजेक्शन बाजार में बिक गए। वहीं कई मामलों में तो इंजेक्शन लगाने के बाद मरीज को हार्ट अटैक जैसी समस्या आई और उनकी मौत हो गई।
पोस्टमार्टम होता तो पता चलता
कोविड मरीजों की मौत के बाद सीधे उनका दाह संस्कार करना होता है। अगर शवों का पोस्टमार्टम (postmortem) किया जाए तो पता लगेगा कि मरीज की मौत किस कारण से हुई। हालांकि स्वास्थ्य विभाग मौत के आंकड़ों को छोडक़र बाकी मौतें विभिन्न कारणों से ही होना बताता आया है।
