इंदौर न्यूज़ (Indore News)

एमवाय में हड़ताल से सैकड़ों मरीज बेहाल, कई ऑपरेशन अटके

  • 9 दिन से चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से सरकार बेखबर
  • सरकार काउंसिलिंग नहीं कर सकती , तो संविदा पर रखे डॉक्टर – जूडा

इंदौर। एमवाय अस्पताल (MY Hospital) में 9 दिन से चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल (junior doctors strike) के कारण मरीजों का हाल बेहाल है। इन 9 दिनों में मरीजों के कई जरूरी ऑपरेशन (operation) अटक गए हैं। भर्ती मरीजों की सर्जरी की तारीखें आगे बढ़ाई जा रही हैं। इसके अलावा कई मरीजों को यह कहकर कि हड़ताल चल रही, इसलिए भर्ती नहीं किया जा रहा है। मगर हड़ताल का राज्य व केंद्र सरकार (state and central government) पर कोई असर नजर नहीं आ रहा है।

हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि कोर्ट -कचहरी में फंसे ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के कारण यदि सरकार डॉक्टरों की भर्ती के लिए काउंसलिंग (counseling) नहीं कर पा रही है तो बिना काउंसलिंग के भी संविदा के आधार पर डॉक्टरों की भर्ती कर सकती है। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर पीयूष बघेल (Association President Dr. Piyush Baghel) का कहना है कि हम 9 दिन से हड़ताल पर हैं। आज हड़ताल का दसवां दिन है, मगर भारत व राज्य दोनों सरकार हमारी बात सुनने या हमारी समस्या समझने को कतई तैयार नहीं हैं।


यह मामला सिर्फ इंदौर का नहीं है, बल्कि सारे देश का है। यदि ओबीसी आरक्षण का मामला कोर्ट में अटका पड़ा है, बार-बार सुनवाई आगे बढ़ रही है तो इसमें डॉक्टरों का क्या दोष है। डिग्री लेने के बाद भी 1 साल से इंदौर सहित सारे मध्यप्रदेश में 1000 से ज्यादा डॉक्टर घर बैठे हुए हैं, जबकि अकेले इंदौर में ही लगभग 250 रेसीडेंट डॉक्टरों की भर्ती होना है। एक तरफ सरकार कोरोना के नए वेरिएंट से निपटने के लिए हर तरह की तैयारियां करने का दावा कर रही है, मगर डॉक्टर कम होने संबंधित समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।

यदि सरकार यह मानती है कि वह तब तक रेसीडेंट डॉक्टरों की काउंसलिंग नहीं कर सकती जब तक कि कोर्ट से ओबीसी आरक्षण के मामले में फैसला नहीं हो जाता, तो ऐसे हालात में राज्य सरकार को दूसरे विकल्प पर काम करना चाहिए। अन्य राज्य सरकार की तरह मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार को भारत सरकार को पत्र लिखना चाहिए कि डॉक्टरों की काउंसलिंग अब नहीं टाली जा सकती। सरकार यदि चाहे तो संविदा के आधार पर डॉक्टरों को तब तक अस्पतालों में रख सकती है जब तक ओबीसी आरक्षण का मामला कोर्ट-कचहरी में नहीं सुलझ जाता। इससे सभी मरीजों को समय पर गुणवत्ता वाला इलाज मिल सकेगा। सरकार को इस मामले में तत्काल कोई न कोई एक्शन लेना चाहिए, वरना हड़ताल के चलते हालात बिगड़ते देर नहीं लगेगी।

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