उज्जैन। कांग्रेस संगठन शीघ्र ही प्रदेश में फेरबदल करने जा रहा है तथा इसकी तैयारियाँ शुरु हो गई है। 16 नगर निगम में से इस बार कांग्रेस के खाते में 4 नगर निगम आई है और एक पर आप पार्टी की महापौर बनी है, वहीं पंचायत स्तर पर मालवा क्षेत्र में कांग्रेस के पक्ष में अच्छे परिणाम नहीं आए हैं। इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ नाराज बताए जा रहे हैं। सभी 52 जिलों के संगठन प्रभारी बदलने के बाद कमलनाथ अब जिलों के अध्यक्षों को बदलने के मूड में दिखाई दे रहे हैं। उज्जैन जैसे जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा, जैसा होना चाहिए था। कांग्रेस ने महापौर प्रत्याशी को लेकर काफी पहले ही फैसला ले लिया था और विधायक महेश परमार को अधिकृत तौर पर घोषित कर दिया था, लेकिन उसके बावजूद शहर के नेताओं में उत्साह नहीं देखा गया। यही नहीं शुक्ला ने चुनाव भी अपने कार्यकर्ताओं और निजी टीम के बल पर ही लड़ा। जहां से परमार को अच्छे वोट मिलने की संभावना थीं, वहां से वे हार गए।
यही नहीं पार्षदों में भी कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। पार्षदों में मुस्लिम प्रत्याशियों ने भी अपने बल पर चुनाव लड़ा और कई प्रत्याशियों ने तो अपने स्तर पर ही चुनाव जीता। ऐसी कुछ बातें कमलनाथ तक पहुंची हैं, जिसकी रिपोर्ट तैयार की गई है, वहीं कमलनाथ ने निजी सर्वे भी करवाया है। इसी तरह पंचायत चुनाव में कांग्रेस का जो प्रदर्शन रहा, उसे भी अच्छा नहीं कहा जा सकता। ग्रामीण क्षेत्र में दो-दो विधायक होने के बावजूद कांग्रेस इंदौर जनपद अपने हाथ से खो बैठी तो दूसरी जनपदों में भाजपा के ज्यादा पार्षद जीतकर आए और उन्होंने अपना अध्यक्ष बना लिया। 7 नगर परिषद, जिला पंचायत भी भाजपा के हाथ में पहुंच गई। अब इसको लेकर कमलनाथ दोनों अध्यक्ष और विधायकों से भी बात करेंगे कि उज्जैन जैसे शहर में कांग्रेस इतनी बुरी तरह क्यों हारी? विधायकों ने जिन प्रत्याशियों को अपने बल पर चुनाव लड़ाकर जिताने की बात की थी, उसमें राऊ, देपालपुर विधानसभा शामिल हैं। Share: