भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सूरमा के बतोले

आंसू तेरे निकलें तो दिल मेरा रोए
चोट लगे तुझको तो दर्द मुझे होए

ये तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं। इनमें नजऱ आ रहे भोपाल के टीम अग्निबाण के सहाफी हैं। अखबार का ये कुनबा थोड़ा मुक्तसर जरूर हेगा, बाकी एक दूसरे पे दिलोजान लुटाने को बरहमेश पेश रहता है। कल दोपहर का खाना टीम अग्निबाण ने एमपी नगर के एक रेस्टोरेंट में साथ खाया। यकीन जानिए इस महफिल से आषाढ़ का वो अलसाया सा दिन यादगार बन गया। आप लोग तो जानतेई हो के सहाफियों का काम डेडलाइंस के साथ चलता है। लिहाजा ऐसे मौके कम ही आते हैं जब सभी साथी एक साथ खाने का लुत्फ लें। अग्निबाण के भोपाल दफ्तर में ये एक रिवायत है। यहां महीने में करीब दो से तीन बार सभी पत्रकार दोपहर का खाना साथ खाते हैं। हम साथ साथ हैं का ये फंडा अग्निबाण भोपाल के एडिटर रविंद्र जैन के दिल में उपजा। उनका मानना है की काम तो होता रहेगा। जब तक जिंदगी है काम से किसी को निजात नहीं मिलने वाली। ऑफिस और फील्ड की भागदौड़ के अलावा पत्रकार की घरेलू जिंदगी के नशेबोफराज के मसले भी चलते ही रहते हैं। बकौल रविंद्र जैन साब इस तेजगाम भागती जिंदगी से चंद लम्हे अपने लिए चुराने और सबके साथ मिलके खाना खाने की हमारे यहां रिवायत बन गई है। जाहिर है दस बारह दिन में एमपी नगर के किसी रेस्टोरेंट में साथ बैठ के राग बतोले देना और लजीज खाने का मजा लेना इन सभी को तरोताजा कर देता है। ये तो हुआ प्लेजर टाइम। बाकी खुदानखास्ता कोई साथी बीमार या किसी और मुसीबत में पड़ जाए तो उसके लिए भी पूरी टीम तन मन धन से लग जाती है। अभी कुछ रोज पेलेई अखबार के कार्यालय सहायक की तबियत ज्यादा ही खराब हो गई थी। साथियों ने उसे अस्पताल में दाखिल कराया और सभी ने उसके लिए पांच हजार रुपए जमा करे। भोत जानदार काम चल्लीया हे जैन साब। आपकी कयादत में बना रहे ये बेलौस दोस्ताना। सूरमा येई दुआ करता है।

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