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महिदपुर कालेज के विद्यार्थियों ने जाना कैसे होती है भैरवगढ़ प्रिंट

महिदपुर। शासकीय महाविद्यालय में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा प्राचार्य डॉ. आशा सक्सेना के निर्देश अनुसार एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की सहमति से एक दिवसीय औद्योगिक भ्रमण का आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत विद्यार्थियों ने उज्जैन की विशिष्ट पहचान भेरूगढ़ प्रिंट उद्योग का भ्रमण किया।
इस भ्रमण का आयोजन स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. प्रज्ञा शर्मा के निर्देशन एवं क्रीडा अधिकारी चंद्रशेखर सिंह व डॉ. रविंद्र नागदेव के नेतृत्व में किया गया। भ्रमण दल को महाविद्यालय परिसर से प्राध्यापक डॉ. पी. एस. पटेल व डॉ. जाकिरउद्दीन अहिंगर ने रवाना किया। इसके अंतर्गत महाविद्यालय के स्नातक अंतिम वर्ष एवं स्नातकोत्तर के उद्योग जगत से जुडऩे के इच्छुक विद्यार्थियों भेरूगढ़ प्रिंट उद्योग उज्जैन का भ्रमण कराया गया। उद्योग प्रबंधक मोहम्मद शरीफ एवं भैरवगढ़ की कार्यशालाओं में काम करने वाले शिल्पकारों ने बताया कि सैकड़ों वर्षों पुरानी उज्जैन शहर की पहचान भेरूगढ़ प्रिंट कला हस्त कला के क्षेत्र में देशभर में विख्यात है। प्राचीन समय में इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता था, किंतु आधुनिक काल में कृत्रिम रंगों का होने लगा है। इन कपड़ों की विशेषता यह है कि कपड़ों के दोनों और छपाई नजर आती है और इसका रंग भी कभी हल्का नहीं पड़ता। इसके साथ ही उन्होंने मोम लगाने और रंगाई की प्रक्रिया को भी विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि इस कला में मधुमक्खी के शहद से निकलने वाले प्राकृतिक मोम का उपयोग किया जाता है।


कपड़े में जहां रंग नहीं चढ़ाना होता है, वहां यह मोम लगा दिया जाता है। ऐसे में जब कपड़ा रंग में डुबोया जाता है तो मोम की जगह छूट जाती है। इससे कपड़े पर आकृति बन जाती है। बाद में मोम को निकाल दिया जाता है। प्राकृतिक रंगों और मोम के इस्तेमाल के चलते यह कपड़े शरीर के लिए लाभदायक रहते हैं। यह प्रक्रिया अनेक बार कई रंगों के लिए दोहराई जाती है जो सबसे हल्के से शुरू होकर सबसे गहरे रंग तक जाती है। वर्तमान में भैरूगढ़ प्रिंट का कपड़ा पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखता है। वहां विद्यार्थियों ने उद्योग में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरणों एवं प्रयुक्त तकनीकों का सूक्ष्मता से अवलोकन किया, साथ ही उन्होंने इस भ्रमण में ज्ञात किया कि हस्तशिल्प कला कितनी महत्वपूर्ण कला है ेऔर इसमें रोजगार के क्या अवसर है। इसके बाद दिन के शेष समय में महाकाल लोक का भी अवलोकन किया। इस प्रकार इस औद्योगिक भ्रमण के बाद शैक्षणिक व सांस्कृतिक भ्रमण भी किया गया। टूर के अंतर्गत विद्यार्थियों ने श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में निर्मित महाकाल लोक का भी अवलोकन किया। इसमें विद्यार्थियों के साथ उपस्थित विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. प्रज्ञा शर्मा, क्रीडा अधिकारी चंद्रशेखर सिंह एवं डॉ. रविंद्र नागदेव ने महाकाल लोक के बारे में विद्यार्थियों को विस्तारपूर्वक समझाया। सभी विद्यार्थियों ने शिवपुराण के आधार पर निर्मित महाकाल लोक का अवलोकन करते हुए उसमें निहित पौराणिक महत्व को समझा।

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