भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सुनी सुनाई… मंगलवार 06 अक्टूबर 2020

एक्स अफसर की कई गर्लफ्रेंड
म प्र के एक रिटायर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की खूबी रही है कि उन्होंने नौकरी के दौरान अपने दोस्त भी खूब बनाए और दुश्मन भी। रिटायरमेंट के बाद उनके दोस्त कितने काम आ रहे हैं यह तो नहीं पता, लेकिन चारों ओर से दुश्मनों के हमले जमकर हो रहे हैं। उनके एक दुश्मन पिछले लंबे समय से उनकी वैध-अवैध कमाई की जानकारी इकट्ठी करने में लगे हैं। इसी दौरान उन्हें इस अफसर की केवल भोपाल में चार गर्लफ्रेंड का पता चल गया है। इन चारों गर्लफ्रेंड को अफसर ने जमकर नवाजा है। किसी को फ्लैट, किसी को बंगला तो किसी को गहने उपहार में मिले हैं। मुखबिर ने खबर दी है कि अफसर के दुश्मन जल्दी ही इन गर्लफ्रेंडों को लेकर सबूत सहित शिकायत करने वाले हैं।

पुरुषोत्तम बनाम राजेन्द्र
म प्र कैडर के दो आईपीएस अधिकारियों ने विभाग की जमकर फजीहत कराई है। दोनों डीजीपी रैंक में पहुंचकर बदनाम हुए हैं। दोनों का वास्ता ग्वालियर से रहा है। दोनों ने नाम और दाम ग्वालियर से ही कमाए हैं। हम बात कर रहे हैं पिछले दिनों पत्नी के साथ मारपीट करने वाले आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा और एक समय के दुर्दांत डकैत मलखान सिंह और फूलनदेवी को समर्पण कराने वाले आईपीएस अधिकारी राजेन्द्र चतुर्वेदी की। डीजी रैंक पर आने के बाद राजेन्द्र चतुर्वेदी पर जेल प्रहरी भर्ती में लेन-देन के आरोप लगे। भोपाल न्यायालय ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई है। जिस जेल के डीजी रहे उसी भोपाल जेल में तीन महीने कैद रहने के बाद चतुर्वेदी फिलहाल जमानत पर हैं। पुरुषोत्तम शर्मा पर पत्नी के साथ मारपीट के अलावा बेनामी संपत्ति के भी आरोप लगे हैं। संचालक लोक अभियोजन के रूप में उनके द्वारा किए गए तबादलों का मुद्दा भी गरमाने लगा है।

छा गए अन्नू भलावी
म प्र गृह विभाग के अवर सचिव स्तर के अदने से अफसर अन्नू भलावी आजकल छाए हुए हैं। जब से राजेश राजौरा ने गृह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में कमान संभाली है, तब से गृह विभाग के सभी आदेश अन्नू भलावी के हस्ताक्षर से जारी हो रहे हैं। मजेदार बात यह है कि डीजीपी स्तर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा को संचालक लोक अभियोजन से हटाने, उन्हें पत्नी की मारपीट पर नोटिस देने और उन्हें निलंबित करने तक के आदेश अन्नू भलावी के हस्ताक्षर से जारी हुए। प्रदेश के कई आईपीएस अधिकारी इस बात से खिन्न है कि इतने बड़े अधिकारी के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई एक अदने से अधिकारी के हस्ताक्षर से कराई गई। जबकि अभी भी सामान्य प्रशासन विभाग के कई आदेश सीधे मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के हस्ताक्षर से जारी हो रहे हैं।

परेशानी में ‘प्रभु-राम’
भा जपा को ‘प्रभु-राम’ की पार्टी माना जाता है। लेकिन कांग्रेस से भाजपा में आए प्रभुराम चौधरी भाजपा में आने के बाद शायद सबसे ज्यादा परेशान हैं। सांची विधानसभा सीट से उन्हें उपचुनाव लडऩा है। चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक भाजपा के बड़े नेता उनके साथ खड़े होने को तैयार नहीं हैं। कांग्रेस के पुराने लोग प्रभुराम को बिकाऊ कहकर पहले ही उनका मजाक उड़ा रहे हैं,दूसरी ओर भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने प्रभुराम को लेकर अभी तक रुख स्पष्ट नहीं किया है, जिस कारण भाजपा के नेता और कार्यकर्ता फिलहाल घर पर बैठे हैं। भाजपा ने इस सीट को जीतने की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री रामपाल और सुरेन्द्र पटवा को सौंपी है। लेकिन प्रभुराम के मुखबिरों पर भरोसा किया जाए तो यह दोनों पूर्व मंत्री भी प्रभुराम को विधानसभा तक पहुंचाने के मूड में नहीं दिख रहे।

कमलनाथ की चुनौती
वि धानसभा उपचुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मौजूदा सीएम शिवराज सिंह चौहान को सीधी चुनौती देते हुए कहा है कि किसी भी सार्वजनिक मंच पर आकर शिवराज के पंद्रह साल और कमलनाथ के 15 महीने के काम पर बहस करा ली जाए। कमलनाथ की इस चुनौती को भाजपा ने कितनी गंभीरता से लिया है यह तो नहीं पता, लेकिन कुछ मीडिया घरानों ने इस पर काम शुरू कर दिया है। एक बड़ा मीडिया ग्रुप और कुछ टीवी चैनल चाहते हैं कि उपचुनाव से पहले कमलनाथ और शिवराज को आमने-सामने बिठाकर 15 साल बनाम पंद्रह महीने पर बहस कराई जाए। देखना है कि शिवराज इसके लिए तैयार होते है या नहीं?

आईएएस का बड़ा संदेश
को रोना काल में प्रदेश भर के बड़े मंत्री, मुख्यमंत्री, अधिकारी, नेता, उद्योगपतियों में से अधिकांश ने अपना इलाज इंदौर या भोपाल के प्रायवेट अस्पतालों में कराया। भोपाल में मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और अधिकांश वीआईपी ने चिरायु अस्पताल को चुना। पिछले 6 महीने में एक भी वीआईपी ने भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया की ओर रुख नहीं किया। तय है कि हमीदिया के डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ में इस बात को लेकर घोर निराशा थी। लेकिन प्रदेश के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिव शेखर शुक्ला ने सपत्नीक हमीदिया अस्पताल में भर्ती होकर वहां से एक संदेश जारी किया कि यहां की सुविधाएं और उपचार किसी बड़े प्रायवेट अस्पताल से कमतर नहीं है। यहां के डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ की सेवाएं अतुल्यनीय हैं। पूरे छह माह बाद एक आईएएस अधिकारी ने ही सही कम से कम हमीदिया अस्पताल के स्टॉफ का मनोबल बढ़ाकर बड़ा संदेश देने की कोशिश तो की।

इस फूल में कांटे ही कांटे
म प्र विधानसभा उपचुनाव में कमल के फूल से टक्कर ले रही कांग्रेस के लिए भांडेर के प्रत्याशी फूलसिंह बरैया गले की हड्डी बन गए हैं। बरैया जब भी मुंह खोलते हैं तो उनके मुंह से जातिगत जहर ही टपकता है। पिछले दिनों उन्होंने जिस तरह सवर्ण समाज पर तीखे हमले किए उससे कांग्रेस के दिग्गज नेता भी परेशान हो गए। कांग्रेस में फूलसिंह बरैया को लड़वाया जाए या नहीं इस पर भी मंथन किया गया। लेकिन घोषित होने के बाद यदि प्रत्याशी बदला तो भी पार्टी का नुकसान हो सकता है। खबर है कि कमलनाथ ने अब पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह की ड्यूटी लगाई है कि वह फूलसिंह बरैया को चुनाव के दौरान अपने भाषण की शैली संयत रखने की सीख दें। इधर भाजपा ने इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा का कहना है कि कमल के फूल को चुनो क्योंकि फूलसिंह बरैया में तो कांटे ही कांटे हैं।

और अंत में…
ग्वा लियर में उपचुनाव से चार महीने पहले ही केके मिश्रा की तैनाती को अब कमलनाथ की दूर दृष्टि माना जा रहा है। केके मिश्रा ने कांग्रेस का प्रचार करने से ज्यादा ग्वालियर में बैठकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने का काम किया है। चार महीने की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने सिंधिया परिवार की जमीनों की पूरी कुंडली बना डाली है। उपचुनाव के दौरान जमीनों को लेकर सिंधिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की घोषणा करके केके मिश्रा ने सिंधिया परिवार को परेशानी में तो डाल ही दिया है।

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