भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सुनी सुनाई : मंगलवार 11 मई 2021

25 लाख… दान या रिश्वत!
जबलपुर के एक अस्पताल संचालक द्वारा रेडक्रॉस संस्था को 25 लाख का दान इस समय पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल इस अस्पताल पर लापरवाही से कोरोना के 5 मरीजों को मारने का आरोप है। अस्पताल में देर रात ऑक्सीजन खत्म हुई तो डॉक्टर सहित पूरा अस्पताल भाग खड़ा हुआ। एक-एक कर मरीज मरते गये तो पुलिस वालों ने दौड़ लगाकर सिलेंडर अस्पताल पहुंचाए और लोगों को बचाया। अस्पताल की लापरवाही की जांच घोषित की गई इसी बीच अस्पताल प्रबंधन ने जिला प्रशासन से संबंध सुधारने की नीयत से 25 लाख का दान रेडक्रॉस को दे दिया। रेडक्रॉस के चेयरमेन कलेक्टर होते हैं। इस दान की खबर के साथ ही अस्पताल की लापरवाही की जांच रिपोर्ट भी सामने आ गई है। जिसमें अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर करने की अनुशंसा की गई है। देखना है कि कलेक्टर एफआईआर करते हैं या 25 लाख के दान से प्रभावित होते हैं। फिलहाल जबलपुर के लोग इस दान को रिश्वत बता रहे हैं।

आईएएस वाचेंगे कथा!
पिछले सप्ताह इसी कॉलम में हमने प्रदेश के एक वरिष्ठ आईएएस मनोज श्रीवास्तव के भविष्य को लेकर सवाल उठाया था। मनोज श्रीवास्तव पिछले माह रिटायर हो गए हैं। अब वे क्या करेंगे? यह सवाल सभी पूछ रहे हैं। हमारे सवाल का जवाब स्वयं मनोज श्रीवास्तव ने कुछ सेकण्ड को वीडियो भेजकर दिया है। यह वीडियो दरअसल मनोज श्रीवास्तव की भविष्य की रणनीति का प्रोमो है। यानि मनोज श्रीवास्तव अब रामचरित्र मानस के रहस्यों पर सारगर्वित व्याख्यान देंगे। उनका मूल विषय सुंदर काण्ड रहेगा। इस विषय पर वे पुस्तकें भी लिख चुके हैं। यानि यह तय है कि मनोज श्रीवास्तव फ्री बैठने वाले नहीं हैं। वे यदि राम कथा वाचते नजर आएं तो आश्चर्य नहीं होगा।

दो मंत्रियों की फजीहत
इस सप्ताह मालवा क्षेत्र के दो मंत्रियों की जमकर फजीहत हुई है। एक मंत्री के बेटे पर दवाओं की ब्लैक मेलिंग के आरोप लगे तो दूसरे मंत्री के चमचे पर अस्पताल में कोरोना मरीजों को बैड दिलाने के नाम पर वसूली करने के गंभीर आरोप लगे हैं। कांग्रेस के विधायक ने खुलेआम मंत्री के बेटे पर दवाईयों की कालाबाजारी के आरोप लगाए। मंत्री के बेटे ने कांग्रेस विधायक को 5 करोड़ की मानहानि का नोटिस भेज दिया है। दूसरी ओर मालवा के ही संघ दीक्षित टीकाधारी मंत्री के एक खास समर्थक पर स्वास्थ्य विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी ने सरकारी अस्पतालों के पलंगों पर कब्जा करने और हजारों रुपए लेकर कोरोना मरीजों को पलंग आवंटित करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। बेशक दोनों मंत्री आरोपों का खंडन करें, लेकिन इनके क्षेत्र में दोनों की फजीहत तो हो ही रही है।

विश्वास ने निभाई दोस्ती
मुख्यमंत्री के बाद प्रदेश में सबसे अधिक सक्रिय चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग इस सप्ताह एक बड़े धर्म संकट से गुजरे। ऐसे समय में जबकि उन्हें पूरे प्रदेश में व्यवस्थाएं करनी हैं, उनके परिवार के कई सदस्य कोरोना संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती हैं। इसी बीच खबर आई कि ग्वालियर में उनके खास मित्र शरद श्रीवास्तव संक्रमण के बाद गंभीर हो गए हैं। विश्वास सारंग ने उन्हें मुंबई एयर लिफ्ट करने के लिए प्रयास शुरू किए तो पहले तो महाराष्ट्र सरकार तैयार नहीं थी, लेकिन विश्वास सारंग ने अपने सभी संपकों का उपयोग कर कुछ घंटे में ही हैदराबाद से एक विशेष एयर एंबुलेंस ग्वालियर बुलवाई और सभी अनुमतियां लेकर अपने मित्र शरद श्रीवास्तव को मुंबई शिफ्ट करा दिया है।

लूट पर सीएस का शिकंजा?
मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस इस सप्ताह कोरोना से ठीक होकर घर पहुंच गए हैं। इकबाल सिंह बैस ने भोपाल के एक निजी अस्पताल में अपना इलाज कराया था। उनके घर पहुंचने के दूसरे दिन से ही राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी निजी अस्पतालों में चल रही लूट को लेकर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर एक मैसेज चला था कि प्रदेश के कई आईएएस निजी अस्पतालों की लूट का शिकार हुए हैं। तय है कि प्रदेश के किसी अस्पताल में मुख्य सचिव से वसूली करने की हिम्मत नहीं है, लेकिन यह संयोग है कि इकबाल सिंह बैस का अस्पताल से घर आना, सोशल मीडिया पर मैसेज वॉयरल होना और राज्य सरकार द्वारा निजी अस्पतालों पर शिकंजा कसना यह तीनों घटनाएं एक साथ हुईं हैं।

हवा में उड़ाए मंत्री के आदेश
राज्य सरकार ने प्रदेश के सबसे वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव को कोरोना की रोकथाम के लिए सागर जिले का प्रभार सौंपा है। 15 अप्रैल को गोपाल भार्गव ने सागर जिला प्रशासन के साथ हुई बैठक में स्पष्ट और सख्त आदेश दिए कि जिले के सभी शासकीय और अशासकीय अस्पतालों के कोरोना वार्डों में सीसी टीवी कैमरे लगाए जाएं। भार्गव का कहना था कि अस्पतालों में भर्ती कोविड मरीजों का इलाज किस तरह हो रहा है, मरीजों की हालत कैसी है, इसे उनके परिजन सीसी टीवी कैमरे के जरिए अस्पताल के बाहर लगाए गए स्क्रीन पर देख सकें। लगभग एक महीने बाद भी जिला प्रशासन ने जिले के एक भी अस्पताल में न तो सीसी टीवी कैमरे लगाए हैं और न ही कहीं ऐसी व्यवस्था की है, जिससे मरीज के परिजन, मरीज के उपचार और उसके हालत की जानकारी ले सकें।

और अंत में…
आज पहली बार हम प्रदेश के युवा नेता कार्तिकेय सिंह चौहान पर कलम चला रहे हैं। इसलिए नहीं कि वे मुख्यमंत्री के बेटे हैं। बल्कि इसलिए कि प्रदेश के तमाम नेताओं के पुत्र राजनीति में तो सक्रिय होना चाहते हैं, टिकट भी चाहते हैं लेकिन वक्त पडऩे पर मतदाताओं के साथ कितने लोग खड़े नजर आते हैं। कार्तिकेय सिंह चौहान इस मामले में सभी नेता पुत्रों के आगे उदाहरण बन गए हैं। पिछले एक साल से वे लगातार बुदनी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। तय है कि उन्हें अपने पिता के प्रभाव का लाभ मिल रहा होगा, लेकिन कार्तिकेय की इच्छा शक्ति की प्रशंसा हो रही है। फिलहाल कार्तिकेय सिंह चौहान ने नसरूल्लागंज और शाहगंज में कोविड सेंटर शुरू कर दिए हैं। उनका टारगेट है कि बुदनी के संक्रमित लोगों को वहीं इलाज मिल सके। कार्तिकेय सिंह के अलावा गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव भी रूचि पूर्वक रहली गढाकोटा में सक्रिय दिखाई दे रहे हैं।

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