नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में कहा कि सहकर्मियों व वरिष्ठों के समक्ष जीवनसाथी (Life Partner) की इज्जत तार-तार करना भी तलाक का आधार हो सकता है। यह कहते हुए शीर्ष अदालत ने उस सैन्य अधिकारी की तलाक (Divorce) की अर्जी को स्वीकार कर लिया जिसकी पत्नी ने वरिष्ठ अधिकारियों और महिला अधिकारों से संबंधित निकायों में पति के खिलाफ कई शिकायतें की थी।
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश महेश्वरी और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने माना कि पत्नी द्वारा इस तरह का अपमान (Disrespect) निश्चित रूप से पुरुष पर क्रूरता करना है और वैवाहिक कानूनों के तहत तलाक का आधार है।
पीठ ने फैसले में कहा है कि जब जीवनसाथी की प्रतिष्ठा उसके सहयोगियों, वरिष्ठों और एक हद तक समाज में तार-तार हो जाती है तो प्रभावित पक्ष से इस तरह के आचरण के लिए माफी देने की उम्मीद करना मुश्किल है। इस तरह की परिस्थितियों में अन्याय करने वाला पक्ष यह उम्मीद नहीं कर सकता कि उसका वैवाहिक जीवन (Married Life) बना रहे।
पीठ ने कहा है कि जब जीवनसाथी के आचरण के कारण किसी का कॅरिअर और प्रतिष्ठा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाए तो इस बात की उम्मीद करना बेमानी है कि वे साथ-साथ रहें।
कोर्ट में कहा कि मानसिक क्रूरता को तलाक का एक आधार माना गया है। क्रूरता को समझने के लिए पृष्ठभूमि व शिक्षा के स्तर पर भी गौर किया जाना चाहिए। सहिष्णुता का पैमाना एक दंपती का दूसरे दंपती से अलग होता है। इसका कोई एकसमान मानक निर्धारित नहीं किया जा सकता है।
सैन्य अधिकारी की शादी सितंबर 2006 में उत्तराखंड (Uttarakhand) में एक कॉलेज की शिक्षिका (Teacher) के साथ हुआ था। शादी के एक वर्ष बाद ही उनके बीच कड़वाहट इस कदर बढ़ गई कि दोनों अलग-अलग रहने लगे। इसके बाद महिला ने अपने पति पर कई तरह के दुर्भाग्यपूर्ण आरोप लगाए और धोखाधड़ी, दहेज (Dowry) की मांग आदि का आरोप लगाते हुए FIR भी दर्ज करवाई।
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