इंदौर न्यूज़ (Indore News)

चुनाव के पहले मंडल स्तर पर भाजपा में सर्जरी कई निष्क्रिय पदाधिकारी बाहर किए

पदाधिकारियों ने कहा- अपने हिसाब से पार्टी चलाना चाहते हैं मंडल अध्यक्ष, इसलिए नहीं बैठ रही थी पटरी
इन्दौर।  चुनाव (election) के पहले भाजपा (bjp) ने भले ही रूठे नेताओं को मनाना शुरू कर दिया है, लेकिन उन नेताओं पर भी निगाह रखी जा रही है, जो वर्तमान में पद लेकर घर बैठ गए हैं। ऐसे पदाधिकारियों (office bearers) की सर्जरी भाजपा (bjp) ने शुरू कर दी है। कल पांच नंबर और राऊ विधानसभा (rau assembly) के 1-1 मंडल में कई पदाधिकारियों को बाहर कर उनके स्थान पर नए की नियुक्ति कर दी। हालांकि हटाए गए पदाधिकारियों ने उलटा ही मंडल अध्यक्षों (mandal presidents) पर आरोप मढ़ दिया कि वे उनके हिसाब से काम कराना चाह रहे थे, इसलिए उनकी पटरी नहीं बैठ रही थी और वे काम नहीं कर पा रहे थे।


राऊ विधानसभा के अंतर्गत आने वाले चन्द्रगुप्त मौर्य मंडल में अध्यक्ष पुरुषोत्तम जायसवाल ने दो उपाध्यक्ष और एक मंत्री को बाहर कर दिया, वहीं उनके स्थान पर आशीष पिंगले और बाबू चेतन शिवहरे को उपाध्यक्ष बनाया है तो मंत्री पद पर लखन गोले की नियुक्ति की गई है। इस मंडल में केवल 3 ही लोगों को बदला गया, जबकि पांच नंबर के अंतर्गत आने वाले शिवाजी मंडल में बड़े स्तर पर सर्जरी की गई। यहां एक साथ 10 पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। यही नहीं मंडल महामंत्री तक को बदल दिया गया। हालांकि इनमें से एक महामंत्री मलखान कटारिया के पार्षद बनने पर उनकी जगह खाली हो गई थी, वहीं निक्की कटारे के काम नहीं करने पर उन्हें हटाया गया है। बताया गया कि नगर निगम चुनाव में भी उन्होंने काम नहीं किया। उनके स्थान पर रोहित पालीवाल और रोहित आंजने की नियुक्ति की गई है, वहीं उपाध्यक्ष के पद पर रवि केसरिया और भरतभूषण बाथम को नियुक्त किया है तो तीन मंत्री भी हटा दिए गए। उनके स्थान पर सुभाष सोलंकी, बंशी चौधरी, विवेक करोसिया को लिया गया है तो कोषाध्यक्ष पद पर राकेश यादव, सहकोषाध्यक्ष पद पर मनोज रायकवार और सोशल मीडिया सहप्रभारी के रूप में आशु गोयल की नियुक्ति की गई है। मंडल अध्यक्ष मंगरोला का इस मामले में कहना था कि कुछ लोग काम नहीं कर रहे थे और कुछ लोगों को दूसरा दायित्व मिल गया था, इसलिए उनके स्थान पर नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है। जिन पदाधिकारियों को हटाया गया, उनका कहना था कि मंडल अध्यक्ष से उनकी पटरी नहीं बैठ रही थी, वे अपने हिसाब से काम करना चाहते थे और हम संगठन के हिसाब से, इसलिए हमने काम करने से ही मना कर दिया था।

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