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दिल्ली शासन विधेयक को लेकर सस्पेंस खत्म, राज्‍यासभा में आसानी से पारित होगा बिल

नई दिल्‍ली (New Dehli) । दिल्ली (Delhi) शासन विधेयक (bill) को लेकर सस्पेंस (suspense) खत्म हो चुका है। मोदी सरकार (Government) इस बिल को राज्यसभा (Rajya Sabha) में आसानी (easily) से पारित कराने के लिए तैयार है। दरअसल युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के बाद, बीजू जनता दल (बीजद) ने मंगलवार को घोषणा करते हुए कहा कि वह दिल्ली के विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक पर नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन करेगी। यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के ट्रांसफर एवं पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लाए गए अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया है।


बीजद के इस फैसले से राज्यसभा में करीबी वोट के लिए मजबूर करने की विपक्ष की उम्मीद पर पानी फिर गया। बीजद द्वारा समर्थन की घोषणा करने से पहले कहा जा रहा था कि बिल पर वोटिंग के दौरान मामला करीबी जा सकता है। हालांकि अब सत्ताधारी पार्टी समर्थन के मामले में काफी आगे निकल गई। बीजेडी और वाईएसआरसीपी के राज्यसभा में नौ-नौ सदस्य हैं। उनके समर्थन से सत्ता पक्ष अब आसानी से विधेयक पास करा सकता है। भारत राष्ट्र समिति के साथ संयुक्त विपक्ष के आंकड़े 110 से कम हो सकते हैं। उच्च सदन की वर्तमान सदस्य संख्या 238 है। यानी आधी संख्या 119 होगी। सात सीटें अभी खाली हैं। बिल पास कराने के लिए सदन की कुल सदस्यता के आधे से अधिक सदस्यों की उपस्थिति और विधेयक के पक्ष में मतदान करना संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार आवश्यक है।

सत्ता पक्ष के पास क्या हैं आंकड़े?

उच्च सदन में अकेले भाजपा के 92 सदस्य (पांच नामांकित सांसदों सहित) हैं। अपने एनडीए सहयोगियों के साथ, उसकी संख्या 103 हो जाएगी। इसके अलावा, अन्नाद्रमुक के चार सांसद हैं, आरपीआई (अठावले), असम गण परिषद, पट्टाली मक्कल काची, तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार), नेशनल पीपुल्स पार्टी, मिज़ो नेशनल फ्रंट, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी (लिबरल) के एक-एक सदस्य हैं। बीजेडी और वाईएसआरसीपी के 18 सदस्यों को जोड़ लें, तो सत्ता पक्ष के पास 121 सदस्य होंगे। इसके अलावा, बसपा, तेदेपा, जद(एस) और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट जैसी पार्टियां भी सरकार के साथ आ सकती हैं। इन पार्टियों के पास एक-एक सदस्य हैं।

विपक्ष के आंकड़े भी जान लीजिए

26 सदस्यीय विपक्षी गठबंधन यानी INDIA के पास 98 राज्यसभा सदस्य हैं। जहां कांग्रेस के पास 31 सांसद हैं, वहीं टीएमसी के पास 13 और डीएमके और आम आदमी पार्टी के 10-10 सांसद हैं। राजद के 6 सदस्य हैं। सीपीआई (एम) और जेडी (यू) के 5-5, एनसीपी के 4, शिवसेना (यूबीटी) के 3, जेएमएम और सीपीआई के 2-2 सदस्य हैं। इनके अलावा, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस (एम), आरएलडी और एमडीएमके के पास एक-एक सदस्य है। बीआरएस फिलहाल INDIA गठबंधन का हिस्सा नहीं है, लेकिन उसने विधेयक का विरोध करने का फैसला किया है। तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी के पास 7 सदस्य हैं। विपक्ष निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल के समर्थन पर भी भरोसा कर सकता है।

लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक पेश

इससे पहले लोकसभा में मंगलवार को विवादास्पद ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ पेश किया गया। निचले सदन में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पेश किया। विधेयक पेश किए जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी आदि ने विरोध किया। विधेयक पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है। उन्होंने कहा कि विधेयक के खिलाफ की जा रही टिप्पणियां राजनीतिक हैं और इनका कोई आधार नहीं है।

इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ को स्वीकृति दी थी। यह 19 मई को केंद्र द्वारा लाये गये अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश लाया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी इस अध्यादेश के विरुद्ध हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटेगा बिल?

केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाई थी। इससे एक सप्ताह पहले उच्चतम न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को सेवा से जुड़े मामलों का नियंत्रण प्रदान कर दिया था हालांकि उसे पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से जुड़े विषय नहीं दिए गए। शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे। इस अध्यादेश में कहा गया है कि ‘‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण’’ नाम का एक प्राधिकार होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा।

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