उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

लगातार दूसरे वर्ष भी अनंत चतुर्दशी पर नहीं निकलेगी झांकियां

  • नेताओं की झांकियों, स्वागत मंचों को मिल जाती है अनुमति, मगर अनंत चतुर्दशी के लिए कोरोना का डर

उज्जैन। एक तरफ 550 स्वागत मंच लगाकर जनआशीर्वाद यात्रा शहर के मध्य मार्गों से निकाली जाती है, दूसरी तरफ विधायक के जन्मदिन से लेकर प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर तमाम आयोजन सत्ता पक्ष द्वारा कर लिए जाते हैं, जिनमें कोरोना प्रोटोकॉल का कहीं कोई पालन नजर नहीं आता। लेकिन अनंत चतुर्दशी की झांकियों के लिए कोरोना का डर दिखाया गया। जबकि गत वर्ष की तुलना में इस साल स्थिति सामान्य है और कल रात जारी मेडिकल बुलेटिन में तो शून्य कोरोना मरीज मिले हैं। दूसरे साल भी झांकियां ना निकलने से लोग मायूस हैं, क्योंकि वर्षों पुरानी परम्परा जहां टूटी, वहीं तीन दिन खड़ी झांकियों को निहारने भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं, जिससे छोटा-मोटा रोजगार करने वालों को भी दो पैसे कमाने का मौका मिल जाता है, वे भी इससे वंचित हो गए।



उज्जैन में अनंत चतुर्दशी की गौरवशाली परम्परा रही है और एक जमाने में तो आसपास से बड़ी संख्या में लोग झिलमिलाती झांकियों का कारवां निहारने आते रहे। मगर कोरोना के चलते गत वर्ष और इस साल अनंत चतुर्दशी का आयोजन नहीं किया गया। नगर निगम सहित पीएचई, सिंहपुरी सहित अन्य स्थानों के लोगों ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि इस साल तो हालात सामान्य हैं और कोरोना के मरीज भी नहीं मिल रहे और झांकियां कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए निकल सकती थी, जिससे परम्परा भी कायम रहती और तमाम लोगों का उत्साह भी बढ़ता, वहीं झांकियां बनाने वाले मजदूरों को काम मिलता और चल समारोह के अलावा चाट-पकौड़ी, खिलौने व अन्य सामग्री बेचने वालों की भी थोड़ी कमाई हो जाती, वे भी इससे वंचित हो गए। लोगों में इस बात का आक्रोश है कि नेताओं ने भी उनकी मदद नहीं की और शासन-प्रशासन के समक्ष मजदूरों का पक्ष नहीं रखा। आम लोगों का यह भी कहना है कि सारे राजनीतिक आयोजन धूमधाम से और ज्यादातर बिना अनुमति के ही हो रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है और तब शासन-प्रशासन को कोरोना का डर नहीं लगता। पिछले दिनों ही प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर जमकर भीड़ भरे आयोजन हुए लेकिन धार्मिक आयोजनों में ही कोरोना का खतरा बताया जाता है।

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