ब्‍लॉगर

होली सबकी प्रीति, राष्ट्र की रीति

– हृदयनारायण दीक्षित प्रकृति नित्य नूतन है। चिरन्तन और आनंदरस से परिपूर्ण। इसके अन्तःपुर में आनंदरस का महास्रोत है। भारतीय चिन्तन में इस स्रोत का नाम है-उत्स। उत्सव इसी आनंद रस का आपूरण है। यूरोप और अमेरिकी समाजों के उत्सव बाजार तय करता है और भारत के उत्सव तय करता है देश-काल। प्रकृति दर्शनीय है। […]