खरी-खरी

गैरों पे करम… अपनों पे सितम…कब तक करते रहेंगे ऐसा जुलम

केवल सरकार के लिए ऐसा वाहियात संग्राम… जिनका न दीन है न ईमान…न जिन पर जनता है मेहरबान, उन्हें गले लगा रहे हो…जिन्होंने वर्षों साथ निभाया…भविष्य का सपना सजाया…बचपन से लेकर जवानी तक को खपाया… बुढ़ापे में भी अरमानों को नहीं गंवाया, उन्हें हिकारत देकर जीवनभर गालियां देने वाले, अपमान करने वाले, लांछन के हर […]