कुछ और भी हैं मेरे किरदार की तस्वीरें मैं वो नहीं जो मुझे दोस्तों ने समझा है ये विवेक सावरीकर हैं। मृदुल तखल्लुस करते हैं। इन भाई मियां… अरे नको रे बाबा, इने तो हम भाऊ के नाम से पुकारते हैं। तो साब भाऊ को आप किस किरदार में देखना चाहेंगे…! ये एक भेतरीम थियेटर […]
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सूरमा के बतोले
तबीअत इन दिनों बेगाना-ए-ग़म होती जाती है मिरे हिस्से की गोया हर ख़ुशी कम होती जाती है भोपाल के दो पत्रकारों की तबियत सख्त अलील बताई जाती है। पहले हाल जानते हैं भोत सीनियर सहाफी कैलाश गुप्ता का। 67 बरस के कैलाश भाई की तबियत 2 बरस से नरम गरम चल्लई हेगी। एकाध महीने पेले […]
सूरमा के बतोले
कौन कहता है मौत आई तो मर जाऊंगा मैं तो दरिया हूं समंदर में उतर जाऊंगा प्रशांत कुमार को हमसे बिछड़े हुए बीस बरस गुजर गए। 23 जून 2002 में 39 बरस की उमर में उस दौर का वो नौजवान सहाफी हैदराबाद में एक सड़क हादसे में चल बसा था। प्रशांत ने सबके साथ निबाह […]
सूरमा के बतोले
आषाढ़ की सुबह बहुत दुख भरी खबर लेके आई। भोपाल ही नहीं पूरे सूबे के जाने माने और हरदिल अजीज पत्रकार सर्वदमन पाठक 72 साल की उमर में इंतकाल फरमा गए। इस खबर से भोपाल के सहाफियों में अफसोस पसरा हुआ है। बीती रात कोई 9 बजे त्रिलंगा के अपने घर में उन्हें दिल का […]
सूरमा के बतोले
मुद्दतों बाद उठाए थे पुराने कागज़़ साथ तेरे मिरी तस्वीर निकल आई है ये जो बिलेक एंड वाइट कदीमी और शिकस्ता फोटू आप देख रय हैं, ये कई मायनों में तारीखी हेगा साब। इसे सन 1965 में लाल कोठी, बोलेतो राज भवन में खींचा गया था। मौका था उस वखत के गवर्नर हरि विनायक पाटस्कर […]
सूरमा के बतोले
बीती शाम मेरे लिए कई मायनों में यादगार रही। यूं लगा जैसे मेरे गरीबखाने पे लघु भारत ही तो सिमट आया है। घर के हॉल मैं बैठ के गुफ्तगू कर रहे वो बच्चे अलग अलग राज्यों से हैं। ज़ाहिर है उनकी मादरी ज़बान, बातचीत का लहजा और खानपान भी अलहदा है। बहरहाल, उन सबों में […]
सूरमा के बतोले
सिर पे हेट, चेहरे पे सफेद दाढ़ी। दिखने में ये इंसान किसी फिलासफर जैसा नजर आता हे…। जि़क्रे खैर हो रिया हे अपने सुनील दुबे साब का। वैसे भोपाल के बाशिंदे इने वृक्ष मित्र के नाम से पेचानते हैं। वृक्ष मित्र बोले तो दरख्तों का दोस्त। बाकी ये लकब बी इने एसेई नई मिल गिया […]
सूरमा के बतोले
रफ़्ता रफ़्ता सब तस्वीरें धुँदली होने लगती हैं कितने चेहरे एक पुराने एल्बम में खो जाते हैं ये डॉली जैन हैं। पीजीडीसीए तक तालीम लेने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में मुलाजिम हैं। बचपन सेई इने पेंसिल स्केच बनाने का शौक था। किसी उस्ताद से बाकायदा तरबियत तो इन्ने नई ली। बाकी जुनून था तो […]
सूरमा के बतोले
मियां मैं शेर हूं शेरों की गुर्राहट नहीं जाती मैं लहजा नर्म भी कर लूं तो झुंझलाहट नहीं जाती भोपाल की दूसरी पीढ़ी के सहाफी (पत्रकार) लज्जाशंकर हरदेनिया 3 दिन पेले 88 बरस के हो गए। ऊपर लिखा ये शेर इनके किरदार पे एकदम फिट बैठता हेगा। सरकार किसी की बी रई मियां खां को […]
सूरमा के बतोले
भायान भोत लंबा अरसा हो गिया झां पे अपन्ने सहाफियों (पत्रकारों) की खेर खबर ही नई ली। तो चलो साब अपने पत्रिका की तरफ एक चक्कर मारी याएं। खबर मिली हेगी के पत्रिका के टॉप मैनेजमेंट ने अपने तमाम एडिशनो में संपादक लेवल के बंदों के लपक तबादले करे हैंगें। गोया के केसरगढ़ के एक […]