इंदौर न्यूज़ (Indore News)

सुपर कॉरिडोर पर दो योजनाओं में कर रखी है चिन्हित, फिर से बुलाए टेंडर, एमपीसीए को चाहिए सस्ती जमीन, जो शासन ही कर सकता है आवंटित

इंदौर। प्राधिकरण के तमाम भूखंड तो आसानी से बिक जाते हैं, मगर स्टेडियम उपयोग का एक विशालकाय साढ़े 8 लाख स्क्वेयर फीट के भूखंड के खरीददार की तलाश जारी है। सुपर कॉरिडोर की दो योजनाओं 151 और 169बी में शामिल स्टेडियम उपयोग की इस जमीन की कीमत लगभग 200 करोड़ रुपए आंकी गई है और इसी आशय का एक बार फिर टेंडर भी जारी किया गया है। पिछली बार प्राधिकरण ने जो टेंडर जारी किया था उसमें कोई खरीददार नहीं मिला। दरअसल इतनी बड़ी जमीन एमपीसीए जैसी संस्था ही ले सकती है। मगर उसे रियायती यानी सस्ती जमीन चाहिए, जो शासन स्तर पर ही आबंटित हो सकती है। प्राधिकरण बिना टेंडर किसी भी संस्था को जमीन घटे दरों पर आबंटित नहीं कर सकता।

एक तरफ नगर निगम नेहरू स्टेडियम के कायाकल्प का दावा कर रहा है। हालांकि उसकी आर्थिक स्थिति खस्ता है। दूसरी तरफ एमपीसीए का रेसकोर्स रोड पर प्राधिकरण बिल्डिंग के बगल में ही होलकर स्टेडयिम है, जहां पर क्रिकेट मैच आयोजित किए जाते हैं। मगर ये स्टेडियम जहां छोटा है वहीं दर्शक क्षमता भी कम है और हर मैच में पार्किंग से लेकर अन्य समस्या तो आती ही है, वहीं अधिकांश इंदौरियों को टिकट भी नहीं मिल पाते। इसके चलते एक बड़े स्टेडियम की जरूरत निकट भविष्य में इंदौर को पड़ेगी और इसी मान से प्राधिकरण ने सुपर कॉरिडोर की अपनी दो योजना में स्टेडियम का प्रावधान किया है। मगर समस्या यह है कि इतनी विशाल और महंगी जमीन कोई निजी संस्था तो खरीदेगी नहीं, क्योंकि स्टेडियम बनाकर चलाना संभव नहीं है।


बहरहाल प्राधिकरण ने एक बार फिर स्टेडियम की इस जमीन को बेचने के लिए टेंडर जारी किए हैं। 83385.15वर्गमीटर यानी लगभग साढ़े 8 लाख स्क्वेयर फीट इस जमीन की न्यूनतम दर प्राधिकरण ने 23800 वर्गमीटर आंकी है और इस हिसाब से ही इस जमीन की कीमत लगभग 200 करोड़ रुपए होती है, जिसमें 20 करोड़ रुपए की राशि अर्नेस्ट मनी के रूप में टेंडरदाता को जमा करना होगी। प्राधिकरण ने री-क्रिएशन उपयोग यानी स्टेडियम की इस जमीन को ऑनलाइन बेचने के लिए जो टेंडर जारी किए हैं उसकी अंतिम तिथि 18 जनवरी तय की गई है और जांच के बाद वित्तीय टेंडर खोलने की तारीख 22 जनवरी 2024 तय की है। पूर्व में हालांकि मध्यप्रदेश क्रिकेट कंट्रोल एसोसिएशन यानी एमपीसीए ने इस जमीन में रुचि दिखाते हुए प्राधिकरण को पत्र भी सौंपा, क्योंकि वह बीसीसीआई के सहयोग से भव्य स्टेडियम का निर्माण कर सकती है।

मगर एमपीसीए का कहना है कि वह इतनी महंगी जमीन नहीं खरीदेगी। शासन उसे रियायती दर पर दे। इधर प्राधिकरण की दिक्कत यह है कि वह अपने स्तर पर रियायती दर पर किसी संस्था को जमीन नहीं दे सकता। शासन को अगर आबंटित करना है तो प्राधिकरण पहले शासन को जमीन देगा, फिर शासन स्तर पर आबंटन होगा और इसके बदले शासन को भी प्राधिकरण को होने वाली क्षतिपूर्ति करनी पड़ेगी, जिस तरह टीसीएस और इन्फोसिस को सुपर कॉरिडोर पर दी जमीनों के बदले शासन ने प्राधिकरण को उससे अधिक सरकारी जमीन आबंटित की है। बहरहाल अब देखना यह है कि स्टेडियम की इस जमीन का इस बार भी कोई खरीददार प्राधिकरण को मिलता है अथवा नहीं।

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