इंदौर न्यूज़ (Indore News)

9108 करोड़ की बेनामी सम्पत्तियों का ब्यौरा प्रशासन ने ईडी को सौंपा

अग्निबाण फॉलोअप… प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में फंसे संघवी और मद्दा – गृह निर्माण संस्थाओं की हड़पी जमीनों से की बड़ी आर्थिक धोखाधड़ी – पूछताछ जारी

इंदौर, राजेश ज्वेल। गृह निर्माण संस्थाओं की सैंकड़ों एकड़ जमीनों को विगत वर्षों में इंदौरी भूमाफियाओं ने हड़प लिया, जिसका मास्टर माइंड दीपक जैन उर्फ मद्दा व बाबी छाबड़ा (Mastermind Deepak Jain aka Madda and Babi Chhabra) रहे हैं। अभी ईडी ने इन भूमाफियाओं पर शिकंजा कसा है। जेल में बंद मद्दे के साथ संघवी, शाहरा व अन्य के खिलाफ जांच शुरू की गई है। दूसरी तरफ प्रशासन ने कई गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को हड़पने और अन्य कम्पनियों में ट्रांसफर (Transfer) करने के साथ विभिन्न खातों में करोड़ों रुपए इन माफियाओं द्वारा जमा करवा लेने का खुलासा करती हुई एक विस्तृत रिपोर्ट ईडी (ED) को सौंपी है, जिसमें 9108 करोड़ से अधिक की बेनामी सम्पत्तियों का खुलासा किया है। साथ ही पुलिस-प्रशासन द्वारा जो एफआईआर पिछले दो सालों में दर्ज करवाई गई उसका भी ब्यौरा दिया है। हालांकि इन भूमाफियाओं ने इससे अधिक जमीनें संस्थाओं की हड़पी है, जिनका खुलासा अग्निबाण (Agniban) ने लगातार किया है।


गंभीर आर्थिक अपराधों के मामलों में इन दिनों ईडी यानी इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट द्वारा देशव्यापी की जा रही कार्रवाई सुर्खियों में की जा रही है। हालांकि अधिकांश विपक्षी नेताओं के खिलाफ ही केन्द्र सरकार सीबीआई, इनकम टैक्स के साथ ईडी का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रही है। दूसरी तरफ यह पहला मौका है जब इंदौरी भूमाफिया भी इसके चंगुल में फंसे हैं। पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह ने भूमाफियाओं के खिलाफ एक दर्जन से अधिक एफआईआर दर्ज करवाई थी और उसके साथ ही ईडी को भी इनसे जुड़े कई दस्तावेज कार्रवाई के लिए भिजवाए। कुछ समय पूर्व इनकम टैक्स ने भी छापे डाले थे, उसमें भी अवैध तरीके से अर्जित की गई सम्पत्तियों के खुलासे हुए थे। अब ईडी को सौंपी गई प्रशासन की रिपोर्ट में अनुरोध किया गया है कि दीपक जैन ऊर्फ मद्दा भी गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को हड़पने का मास्टरमाइंड रहा हैं और इनके खिलाफ शीघ्र ही ईसीआईआर यानी इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट दाखिल करें, क्योंकि इनके आर्थिक अपराध अत्यंत गंभीर है और इन मामलों की पीएमएलए यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच की जाना चाहिए। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी का कहना है कि हमने पिछले दिनों एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ईडी को सौंपी है, जिसके चलते अभी जो कार्रवाई की जा रही है उसमें यह रिपोर्ट अत्यंत मददगार साबित होगी। इस 9 पेज की रिपोर्ट में दीपक जैन उर्र्फ दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दे के साथ जमीनी कारोबारी सुरेन्द्र संघवी की भूमिका महत्वपूर्ण बताई गई है और अपनी रिपोर्ट में प्रशासन ने विभिन्न बैंकों, वित्तीय संस्थाओं में खाते बेनामी स्वत्व से भी खोले जाने और उनमें बिना नियम प्रक्रिया के लाखों करोड़ों की राशियों के अंतरण की जानकारी भी दी है। वैध-अवैध, बेनामी सम्पत्तियों की जो जानकारी जांच के दौरान सामने आई उसके मुताबिक इन सम्पत्तियों का मूल्य 9108 करोड़ से भी अधिक है। हालांकि प्रशासन की इस रिपोर्ट में कई संस्थाओं की हड़पी जमीनें शामिल होने से बच गई है, जिसके चलते 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का यह आर्थिक गंभीर भू-घोटाला है। प्रशासन ने मद्दे के खिलाफ दर्ज करवाई गई एफआईआर और उसमें पाई गई तथ्यों की जानकारी भी अपनी इस रिपोर्ट में दी है, जिसमें मजदूर पंचायत की कालोनी पुष्प विहार में की गई धोखाधड़ी और दर्ज करवाई एफआईआर के साथ ही मद्दे, धनवानी, दीपेश वोरा, कमलेश जैन, कैशव नाचानी, नसीम हैदर का भी उल्लेख किया गया है। इसी तरह श्रीराम गृह निर्माण संस्था, जिसकी जमीन अवैध हिना पैलेस में भी शामिल की गई। वहीं हीना पैलेस में वैभव महालक्ष्मी रियल इस्टेट के भागीदार धवन बंधुओं के साथ ही अयोध्यापुरी में मेसर्स सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट मेगा फाइनेंस में 4 एकड़ किए गए जमीन के फर्जीवाड़े के साथ ही त्रिशला गृह निर्माण की भी जानकारी दी गई, जिसमें न्याय विभाग कर्मचारी संस्था की 15 एकड़ जमीन शामिल की गई और दस्तावेजों में कूटरचना का भी इस्तेमाल किया गया। हालांकि इसस रिपोर्ट में डायमंड गृह निर्माण, कल्पतरु, करतार, पाश्र्वनाथ से लेकर अन्य संस्थाओं में किए गए फर्जीवाड़े का उल्लेख नहीं है। दूसरी तरफ ईडी द्वारा इस मामले में पूछताछ और जांच लगातार जारी है। दूसरी तरफ शहर के रियल इस्टेट कारोबारियों, राजनेताओं, मीडिया की भी निगाह इस चर्चित ईडी जांच पर टिकी है।

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