ग्वालियर। ग्वालियर शहर (Gwalior City) में होली की तैयारियां जोरों पर हैं। आज रात बुराई के प्रतीक होलिका दहन (bonfire) का आयोजन होगा। शहर के प्रमुख चौराहों और घरों में इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। खासतौर पर ग्वालियर-चंबल अंचल की सबसे बड़ी होलिका सराफा बाजार में तैयार की गई है, जहां करीब 25 हजार गोबर के कंडों से होली का निर्माण किया गया है।
इस अनोखी होलिका को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग सराफा बाजार पहुंचते हैं। बीते 70 वर्षों से सराफा बाजार के व्यापारियों द्वारा इस भव्य होलिका दहन का आयोजन किया जा रहा है। व्यापारियों के अनुसार, बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे रात 11 बजे होलिका की पूजा करेंगे, जिसके बाद दहन की परंपरा निभाई जाएगी।
इस अनूठी होलिका की खासियत यह है कि इसे पूरी तरह गोबर के कंडों से तैयार किया गया है। आयोजकों का कहना है कि पारंपरिक रूप से लोग होलिका दहन के लिए लकड़ी का उपयोग करते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। बड़ी होली के लिए बड़ी मात्रा में लकड़ी की आवश्यकता होती है, जिसके लिए पेड़ काटे जाते हैं। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सराफा बाजार में गोबर के कंडों का उपयोग कर होलिका तैयार की जाती है, जिससे पेड़ों को नुकसान नहीं पहुंचता।
इस पहल के माध्यम से व्यापारी और स्थानीय लोग एक महत्वपूर्ण संदेश देना चाहते हैं कि परंपरा और पर्यावरण संरक्षण को साथ-साथ रखा जा सकता है। यह न केवल एक पर्यावरण अनुकूल प्रयास है, बल्कि अन्य लोगों को भी जागरूक करने का एक सार्थक तरीका है। इस प्रकार, ग्वालियर की यह होली न सिर्फ रंगों का त्योहार होगी, बल्कि पर्यावरण सरंक्षण का संदेश भी देगी।
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