ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े नेता में शहरियों का मिजाज…
इंदौर। जब मुध वर्मा (Madhu Verma) को इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) का अध्यक्ष बनाया गया था, तब यकायक लोगों के मन में सवाल उठा था कि ग्रामीण परिवेश में पले मधु वर्मा इंदौर के विकास को कामयाबी कैसे दे पाएंगे, लेकिन मधु वर्मा की सोच ने शहर के विकास को वो आयाम दिया, जिसे आज भी लोग याद करते हैं। फिर वो सुपर कॉरिडोर की कल्पना हो या एमवाय का कायाकल्प। जीर्ण-शीर्ण कलेक्ट्रेट (Collectorate) का जीर्णोद्धार हो या शहर में बिछा पुलों का जाल। मधु वर्मा ने विकास का वो प्रारंभ दिया, जिसके बूते पर शहर आज तक आगे बढ़ रहा है।
राऊ क्षेत्र से विधानसभा के उम्मीदवार मधु वर्मा भले ही पिछला चुनाव हार गए हों, लेकिन उन्होंने जीतने की जिद नहीं छोड़ी। फिर एक बार इसी क्षेत्र से जनता के बीच पहुंचे मधु वर्मा (Madhu Verma) के खाते में शहर के विकास का आधुनिक प्रारंभ जुड़ा हुआ है। मधु वर्मा ने किसानों की जमीनों के अधिग्रहण से उपजे विवाद को समाप्त करने के लिए किसानों को भूखंड में भागीदारी का ऐसा अनूठा निर्णय लिया कि किसान हंसते हुए खुद अपनी जमीनें विकास के लिए प्राधिकरण को सौंपने लगे और यही सोच शहर के विकास की मुख्यधारा बनी। प्राधिकरण की झगड़े में पड़ी अनेक योजनाओं को जहां मार्ग मिल गया, वहीं नई योजनाएं सफलापूर्वक लागू होती चली गईं और प्राधिकरण का खजाना विकास के लिए लबालब हो गया।
20 से लेकर 30 प्रतिशत तक के विकसित भूखंड के प्रस्ताव ने किसानों के भाग्य खोले
पहले प्राधिकरण को जमीन अधिग्रहण में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। किसानों के कोर्ट में चले जाने के चलते योजनाएं अधूरी रह जाती थीं। इसी समस्या का निदान करते हुए मधु वर्मा ने सुपर कॉरिडोर निर्माण के लिए किसानों को बीस प्रतिशत विकसित भूखंड का प्रस्ताव दिया तो कतारें लग गईं। इसके बाद मुख्य मार्ग के पीछे की योजना के लिए कुल विकसित भूखंडों का पचास प्रतिशत, यानि भूमि का लगभग 30 प्रतिशत भूखंड का आफर दिया। इस योजना से किसान तो किसान प्राधिकरण के भी भाग्य खुल गए। किसानों ने धड़ाधड़ अनुबंध किए और प्राधिकरण ने भूखंड बेचकर करोड़ों कमाए, जिससे प्राधिकरण एमवाय से लेकर कलेक्ट्रेट तक के जीर्णोद्धार के साथ ही शहर में ब्रिज के निर्माण का वह काम कर पाया, जो धनाभाव के कारण लंबित पड़ा था। सही मायनों में देखा जाए तो इन्हीं कार्यों की बदौलत इंदौर में लगातार भाजपा जीतती रही।
शिकायत पेटी ने कराया जनता से सीधा संपर्क…
मधु वर्मा ने प्राधिकरण का अध्यक्ष बनने के बाद अपने कार्यालय में एक शिकायत पेटी लगवाई, जिसमें कोई भी नागरिक अपनी समस्या की चिट्ठी डालता था और उसकी समस्या के निराकरण के लिए 24 घंटे में अधिकारी खुद पीडि़त से संपर्क करते थे। इसके चलते मधु वर्मा का जनता से सीधा संपर्क हो गया। सबसे कीमती प्लाट बेचा प्राधिकरण ने प्राधिकरण में करोड़-दो करोड़ के प्लाट बेचना बहुत बड़ी बात हुआ करती थी, लेकिन मधु वर्मा के कार्यकाल में स्कीम नंबर 54 में सबसे कीमती भूखंड रिलायंस ने ढाई सौ करोड़ से ज्यादा में खरीदा।